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संजीव ‘जीवा’ हत्याकांड पर बोले अखिलेश ‘जाओ जिसको जहां मारना है मारो, ये आज के समय का लोकतंत्र है?’, पढ़े कौन था ‘संजीव जीवा’

शाहीन बनारसी

डेस्क: दुर्दांत अपराधी संजीव ​​जीवा की आज बुधवार, 7 जून को लखनऊ कोर्ट के बाहर गोली अधिवक्ता के भेष में आये हमलावर ने गोली मार कर हत्या कर दिया। पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि सजीव जीवा को कई गोलिया लगी थी और मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हत्याकांड के बाद एक एसआईटी गठित कर जाँच के आदेश दे दिए है।

एसआईटी में एडीजी मोहित अग्रवाल, नीलब्ज़ा चौधरी और अयोध्या आईजी प्रवीण कुमार शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने एक सप्ताह में पूरी जांच करने के आदेश दिए हैं। इस हत्याकांड ने पुरे प्रदेश में सनसनी मचा दिया है। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि संजीव जीवा बुलेट प्रूफ जैकेट पहन कर आता था। मगर आज वह यह जैकेट नही पहन कर आया था। घटना के बाद विपक्ष ने जमकर सरकार पर निशाना साधा है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर तंज़ कसते हुवे कहा है कि ‘पुलिस कस्टडी, पुलिस सिक्योरिटी के बीच या कचहरी-कोर्ट में किसी की भी जान जाना। इन सबके पीछे सरकार ने अपराधियों को छूट दी हुई है। जाओ जिसको जहां मारना है मारो। ये आज के समय का लोकतंत्र है? सवाल यह नहीं है कि किसे मारा जा रहा है, सवाल यह है किस स्थान पर मारा जा रहा है। जो सबसे ज़्यादा सिक्योरिटी एरिया है वहां मारा जा रहा है।’

कौन था संजीव ‘जीवा’

मुजफ्फरनगर का रहने वाला संजीव जीवा पश्चिमी यूपी के कुख्यात गैंगस्टरों में से एक था। भाटी गैंग, बदन सिंह बद्दो, मुकीम काला गैंग और न जाने कितने अपराधियों के बीच संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का भी नाम जुर्म की दुनिया में 90 के दशक में पनपा जब उसने अपना खौफ पैदा शुरू किया। अपराध की दुनिया में आने के पहले वह एक मेडिकल स्टोर पर कम्पाउन्डर की नौकरी करता था। जहा जीवा ने नौकरी के दरमियान ही अपने मालिक को ही अगवा कर लिया था। उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया। फिरौती दो करोड़ की मांगी थी।

इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा। मगर उसके अन्दर अपना गैग बनाने की तमन्ना फल रही थी। वह धीरे-धीरे पुलिस और आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया। 10 फरवरी 1997 को हुए ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड के चलते संजीव जीवा का नाम संगीन अपराधी के रूप में जाना जाने लगा। ब्रह्मदत्त भाजपा के कद्दावर नेता थे। उनकी हत्या के मामले में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हाल में शामली पुलिस ने उसी की गैंग के एक शख्स को एके-47 और सैकड़ों कारतूसों और तीन मैगजीन के साथ पकड़ा था।

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