आदिल अहमद
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद की दवाओं के विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसके लिए कोई अनुभवजन्य साक्ष्य नहीं है।
बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसके लिए कोई अनुभवजन्य साक्ष्य नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने पतंजलि के संस्थापकों रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को उनके उत्पादों की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता के बारे में झूठे और भ्रामक दावों का प्रचार जारी रखकर अदालत के पिछले आदेशों का उल्लंघन करने के लिए अवमानना नोटिस भी जारी किया।
कोर्ट ने साल 2022 में इसके खिलाफ वर्तमान याचिका दायर होने के बावजूद भ्रामक विज्ञापनों से न निपटने के लिए केंद्र सरकार की भी खिंचाई की। इसने कहा, ‘पूरे देश को धोखा दिया गया है! दो साल से आप इंतजार कर रहे हैं कि कब ड्रग्स एक्ट कहे कि यह प्रतिबंधित है?’ शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि पतंजलि को दवा के अन्य स्वरूपों के खिलाफ प्रतिकूल बयान या दावा नहीं करना है।
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