अनुराग पाण्डेय
डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने कहा था कि सीएए देश का क़ानून है और इसकी अधिसूचना लोकसभा चुनाव से पहले जारी की जाएगी। उन्होंने कहा था कि सीएए को चुनाव से पहले लागू कर दिया जाएगा। गृह मंत्री के इस बयान के बाद से असम में सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए स्थानीय संगठन एकजुट होने लगे है।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष उत्पल सरमा ने कहा कि इस असम और असमिया विरोधी क़ानून को स्वीकार नहीं किया जाएगा। असम किसी भी परिस्थिति में विदेशियों का बोझ नहीं उठाएगा। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘असम समझौते के अनुसार हम पहले ही 1971 तक अतिरिक्त बांग्लादेशियों का बोझ उठा चुके हैं। लिहाजा असम जैसा छोटा राज्य फिर एक बार और विदेशी नागरिक का अतिरिक्त बोझ नहीं उठा सकता। फिर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान।’
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