अगर ऐसा ही रहा तो इलाहाबाद और कौशाम्बी में हो सकता है भाजपा को नुक्सान

जावेद अंसारी/ तबजील अहमद 
इलाहाबाद और कौशांबी जिले मे भारतीय जनता पार्टी के टिकट को लेकर भीतर ही भीतर घमासान मचा हुआ है जो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इन दोनों जिलो से भाजपा ने बाहरियों को टिकट दिया है, उसका असर जमीन पर दिखने लगा। सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता और नेता दोनों बुरी तरह हताश है। वे किसी भी हालत मे उन्हे वोट नही देंगे और न ही उनके लिए प्रचार करेंगे। इन दोनों जिलों मे अभी तक भाजपा ने कुल 15 प्रत्याशी उतारे हैं। जिसमें से 9 बाहरी हैं। एक भाजपा नेता ने अपना नाम न छपने के शर्त पर बताया की इन सभी एक प्रकार के इम्पोर्टेड कैंडिडेट में ज़्यादातर को कोई जानता तक नहीं है।

अब जो कार्यकर्ता वर्षो से पार्टी की सेवा में लगे है उनको टिकट न देकर किसी इम्पोर्टेड कैंडिडेट को टिकट दिया जाए तो हताशा होना स्वाभाविक है. चर्चाओ और राजनैतिक समीकरणों को आधार माने तो दोनों जिलों की 15 सीटों मे से केवल इलाहाबाद पश्चिमी से नंदी को जो टिकट दिया गया है, वही लड़ाई मे है। लेकिन इस क्षेत्र के ब्राह्मण मतदाता नन्दी से बहुत बुरी तरह चिढ़े हुये हैं। ब्राहमण मतदाताओ की एक सोच यह है की इलाहाबाद मे ब्राह्मणो की राजनीति को समाप्त करने का श्रेय इन्ही को जाता है, इस कारण घोर भाजपाई ब्राहमण भी नंदी के विरोधी न सही मगर समर्थक भी नहीं है. इस तरह से देखा जाये, तो इन दोनों जिलों मे भाजपा की जो तस्वीर बनती है, उसमे भाजपा एक ही सीट पर लड़ाई मे है, पर वह भी 100% जीतने की स्थिति मे नही है। इसका एक कारण और है कि इन दोनों जिलों के ब्राह्मणों की कुछ मुद्दों को छोड़ कर सपा से उनकी नजदीकी बढ़ी है। यदि सपा से किसी ब्राहमण को टिकट मिला है, भाजपा समर्थक ब्राहमण भी सपा से खड़े ब्राहमण उम्मीदवार के समर्थन में आ सकता है।

जो भी हो मगर अभी तक के राजनितिक समीकरण यही बता रहे है कि भाजपा को इन दोनों जिलो में अपने कार्यकर्ताओ के द्वारा हो रहे विरोध के कारण सीटो का नुकसान पहुच सकता है इलाहाबाद की पश्चिमी सीट पर सपा कैंडिडेट ऋचा के साथ नवजवान वर्ग खड़ा दिखाई दे रहा है और भाजपा को इस सीट पर कांटे की टक्कर मिल रही है. अगर ब्राह्मण मतों की बात करे और उसका कुछ प्रतिशत कांग्रेस गटबंधन के कारण ले लेती है तो इस सीट का अप्रत्याशित रिज़ल्ट भी आ सकता है. मगर फिर वही एक बात बीच में ध्यान रखना चाहिए कि यह राजनीती है यहाँ किसी भी मिनट में पासा पलट सकता है और समीकरण उलटे पुल्टे हो सकते है.
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