चित्रकूट के जंगल में डाकुओं ने तीन बंधकों को जिंदा जलाया, ललित पटेल गिरोह पर आरोप,

(जावेद अंसारी)
चित्रकूट के जंगल में डाकू ललित पटेल ने सोमवार को देर रात तीन बंधकों को जिंदा जला दिया उन्हें मध्य प्रदेश से अगवा किया गया था। डाकू की तलाश में पुलिस कॉम्बिंग कर रही है लेकिन उसका कहीं पता नहीं है। चंद दिनों पहले बांदा में पुलिस के एक शहीद स्मारक को भी डाकू तोड़ चुके हैं. यूपी-एमपी की सरहद पर इन इलाकों में डाकुओं का आतंक है।यहा पर वे अपराध की रोज नई कहानी लिख रहे हैं।

चित्रकूट के कोल्हुआ के जंगल में ताजा मामला सामने आया है कि 30 हजार के इनामी डाकू ललित पटेल ने मुखबिरी के शक में तीन लोगों को जिंदा फूंक दिया। चित्रकुट के बीहड़ में उस समय सनसनी फैल गई, जब तीन यूवकों की जली हुई लाश बरामद हुई। 30 हजार के ईनामी कुख्यात डाकू ललित पटेल गैंग द्वारा अंजाम देना बताया जा रहा है शक है कि सतना के नयागांव से जिन जिन लोगों को डाकू ने 30 मई को अगवा किया था फिरौती न मिलने पर उन्हें ही जला दिया गया।
मृतकों में जिस युवक की पहचान हुई है उसके परिजन दस्यु ललित पटेल द्वारा अपहरण करने की बात पुलिस को बता रहे हैं और खुद की जान का खतरा भी। यूपी व एमपी की सीमा पर स्थित थर पहाड़ के कोल्हुआ जंगल में तीन जली हुई लाशों के मिलने पर हड़कम्प मच गया। सूचना पर पहुंची एमपी व यूपी पुलिस ने शवों की शिनाख़्त करवाने का प्रयास किया तो उनमे से एक की पहचान मुन्ना यादव निवासी नया गांव थाना क्षेत्र(जनपद सतना के अंतर्गत आने वाला चित्रकूट) के रूप में हुई। जबकि अन्य दो मृतकों की शिनाख़्त नहीं हो पाई।
घटनास्थल पर पहुंचे पप्पू यादव निवासी ग्राम थर पहाड़ थाना नयागांव एमपी ने एक नरमुंड को अपने भाई मुन्ना यादव का बताया है। जिसको 30 जून की सुबह घर से डाकू ललित पटेल के साथी बुलाकर ले गए थे। दूसरे अवशेष को नत्थू प्रसाद निवासी टेढ़ी थाना नयागांव ने अपने चचेरे भाई रामदास का होने की आशंका जताई है। इसकी गुमशुदगी सोमवार को नयागांव थाना में दर्ज कराई गई थी।
उधर सतना पुलिस इस घटना को दस्यु ललित पटेल की साजिश मानते हुए तफ्तीश में जुटी है। इन सबके बीच सतना पुलिस पर इस मामले को लेकर ढिलाई बरतने का आरोप लग रहा है। युवकों का अपहरण होने के बाद उनकी जली हुई लाशें बरामद होना एमपी पुलिस के लिए चुनौती है ललित पटेल गैंग द्वारा। जिस कोल्हुआ जंगल में लाशें पाई गई हैं वो यूपी के चित्रकूट जनपद के कर्वी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत बताया जा रहा है लेकिन यूपी पुलिस भी इस पड़तालमें जुटी है कि घटना का वास्तविक इलाका किस राज्य के थाना क्षेत्र में आता है। दोनों राज्यों की पुलिस टीमें जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाने के लिए रवाना हो गईं हैं।
मालूम हो कि यहां डाकुओं के खिलाफ चले अभियान में एक-एक कर तमाम बड़े डाकू मारे गए, सन 2007 में सात लाख का इनामी डाकू ददुआ मारा गया था। वर्ष 2008 में पांच लाख का इनामी डाकू ठोकिया मारा गया था। साल 2012 में दो लाख का इनामी डाकू रागीया मारा गया और 2015 में पांच लाख का इनामी डाकू बलखड़िया मारा गया। लेकिन अब फिर डाकुओं की तीन गैंग यहां सक्रिय हो गई हैं, यह गैंगें अक्सर रातों में जंगल में बारिश होने पर गावों में पनाह लेने आती हैं, गांव वालों को पूरी गैंग को खाना खिलाना पड़ता है।इन्हीं इलाकों में सन 2007 में डाकू ठोकिया की गैंग ने उसकी तलाश में जुटी एसटीएफ के छह जवानों को भून डाला था।

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