“पूत के पाँव पालने में” जैसी पंक्ति को बनारस की नन्ही बेटी जोया सुहैल ने किया चरितार्थ…..

शिखा की कलम से………
“कभी अपने सपनों को हक़ीक़त की दुनिया दिखाओ, ख़ुद को इस दुनिया में आजमाओ,
दुनिया में सबसे अलग पहचान बनाओ”
ऐसी ही पहचान बनाई है बनारस की नन्ही सी बेटी ने। जी हाँ हम बात कर रहे हैं कक्षा 2 की छात्रा ज़ोया सुहैल की। जिन्होंने ग्रीन ओलंपियाड फाउंडेशन के तहत होने वाले इंटर स्कूल लाइव ओलंपियाड प्रतियोगिता में न केवल अपनी जगह बनाई बल्कि जीत का सेहरा भी अपने सर पर बंधवाया। बतौर पुरस्कार फाउंडेशन के तरफ से उन्हें एक घड़ी और एक सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। आपको बता दे की ग्रीन ओलंपियाड फाउंडेशन का यह इंटर स्कूल लाइव ओलंपियाड प्रतियोगिता गाणित, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में होती है । बनारस की नन्ही बेटी ज़ोया सुहैल ने इस प्रतियोगिता में गणित सेगमेंट में हिस्सा लिया था।

बताते चलें की ज़ोया सुहैल बनारस के सोना तालाब स्थित सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल  में कक्षा 2 की छात्रा हैं। उनके पिता सुहैल अख़्तर सलेमपुरा  बनारस के बाशिंदे हैं जो की मल्टी नेशनल कंपनी में बतौर मेनेजर कार्यरत हैं। ज़ोया की माताजी शाज़िया सुहैल एक गृहणी हैं। “पूत के पाँव पालने में ही नजर आते हैं” पंक्ति को चरितार्थ करते हुए ज़ोया ने यह सुनिश्चित किया है की उनका भविष्य उज्जवल है। उनकी गणित जैसे जटिल विषय पर इतनी मजबूत पकड़  यह सुनिश्चित  करती है की आने वाले समय में वो कई और बड़ी उपलब्धियां हासिल कर के न केवल बनारस बल्कि देश का नाम रौशन करेंगी। 
चाणक्य ने कहा है “कोई काम शुरू करने से पहले स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये- मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते  हैं और क्या मैं सफल हो जाऊंगा। और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों  के संतोषजनक ऊत्तर मिल जाए तभी आगे बढ़ें।”
 छोटी उम्र में इतनी गहरी बातें समझ पाना शायद मुश्किल हो परंतु इस उम्र में यह कर्त्तव्य माँ बाप का होता है की वो अपने बच्चों की क्षमता व रूचि को भाँफ कर उन्हें अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसित  करें। ऐसा ही कुछ सुहैल अख्तर और उनकी पत्नी शाज़िया सुहैल ने किया। अपनी बच्ची की क्षमताओं और रूचि को पहचाना और उसे सही राह दिखा रहे हैं ताकि ज़ोया अपनी सफलता की राह को निरंतर प्रशस्त करे।
ज़ोया को उनके इस जीत और उज्जवल भविष्य के लिए पुरे PNN 24 के तरफ से हार्दिक बधाइयाँ।
“खुदी को कर बुलंद इतना की हर ततबीर से पहले खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है”

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