जिले से दो सांसद, छह विधायक,एक केबिनेट मंत्री व कई मोहकमे की राज्य मंत्री साथ ही दो प्रदेश उपाध्यछ फिर भी राजकीय इंटर कॉलेज का हाल बेहाल

मो0 अरशद

बहराइच | एक ओर जहां हमारी प्रदेश व केंद्र सरकार हिंदुस्तान की शिक्षा व्यवस्था को लेकर अरबो खबरों रुपए पानी की तरह लुटा कर भी सरकारी प्राथमिक, उच्चतर माध्यमिक,व कॉलेजों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने में नकारा साबित हो रही हैं, वही सरकार के ढुलमुल रवैये एवं शिक्षा के प्रति ठोस व कठोर नीतियों के न बन पाने के कारण उक्त स्कूलों कालेजों के चपरासी से लेकर अधिकारी तक की मानसिकता मानो छात्र/ छात्राओं के शैक्षणिक विकास से ना होकर सिर्फ अपने अपने मानदेयों ,पगारों व अवैध उगाहियों के दायरे में सिमटती जा रही है।

योगी के उत्तर प्रदेश शासन में यहां जो मामला है वह जनपद बहराइच के अति प्राचीनतम कॉलेज में एक राजकीय इंटर कॉलेज का है ,जो कि बीच शहर में डीआईओएस कार्यालय के मुख पर स्थापित होने के बाद भी उसका हाल सूअर बाड़े से भी बदतर है।

हम आपको यह भी बता दें कि 1929 में स्थापित अंग्रेजों के जमाने का यह कॉलेज, जहां कभी छात्रों को प्रवेश पाने के लिए अतिरिक्त परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ता था। और तो और अपने-अपने बच्चों को उक्त कॉलेज में दाखिला दिलवाने के लिए अभिभावकों के भी पसीने छूट जाते थे, और पढ़ाई ऐसे की अन्य कालेज चाहकर भी उस का मुकाबला नहीं कर पाते थे।
हालांकि 1952 में 12वीं तक की मान्यता प्राप्त कर यह विद्यालय शिक्षा के उन सभी बुलंदियों को छूने लगा जिसकी जरूरत अभिभावकों को होती थी। लेकिन जैसे-जैसे शिक्षा का व्यवसाय बढ़ता गया वैसे-वैसे उक्त कॉलेज का अस्तित्व भी अपने वास्तविक वजूद को खोते हुए मात्र अध्यापकों के मानदेयों का ही साधन बनता चला गया वह भी सैलरी ऐसी जिसे सुनकर बेरोजगारों की जीभ हलक में ही अटक जाए।

जब उसी कॉलेज में हमारे बहराइच प्रभारी ने मौके पर जाकर सच देखना चाहा तो ना तो वहां छात्रावास का ही हाल दुरुस्त था और ना ही रख रखाव का।सफाई का आलम ऐसा की अँधा भी शर्मा जाय। कॉलेज पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी आधे से ज्यादा परिसर खंडहर में तब्दील पाया गया ,जो कि थाना दरगाह की नाक के नीचे स्मैकियों व अय्याशबाज़ो के लिए वरदान साबित हो रहा है।सफाई का आलम ऐसा है कि शायद 5 मिनट भी वहां नहीं गुजारा जा सकता ,इंसानों सहित पशुओं व जानवरों के मल मूत्र का साधन बने परिसर में स्वच्छता की बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाले प्रशासनिक अधिकारी भी ऐसे संवेदनशील मामलों में भी चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। कालेज परिसर के तमाम दरवाजे खिड़कियों का अता-पता नहीं है बावजूद इस जिले में कोई यह पूछने वाला नहीं है कि कॉलेज की ऐसी दुर्व्यवस्था का जिम्मेदार कौन है।

एक ओर जहां योगी जी उत्तर प्रदेश से करप्शन क्राइम मिटाने का प्लान बना रहे हैं वहीं बहराइच में उनके अधीनस्थ तनख्वाहधारियो व राजनीतिग्गयों को कॉलेज की उक्त दुर्व्यवस्था की भनक तक का ना लग पाना उनके प्लान पर सीधा प्रहार करता नजर आ रहा है। हालांकि ऐसी कमियां पिछली सरकारों में भी देखने को मिलती रही है, लेकिन भ्रष्टाचार मुक्त विषय पर बनी भाजपा सरकार में ऐसी अव्यवस्थाओं का निरंतर जारी रहना लोगों द्वारा जिले का दुर्भाग्य बताया जा रहा ।जबकि इस जिले से दो सांसद,छह विधायक,केबिनेट मंत्री व कई मोहक्मो की राज्य मंत्री सहित दो प्रदेश उपाध्यक्ष होने के बाद भी बीच शहर में स्थापित राजकीय इंटर कॉलेज की ऐसी दुर्दशा का होना लोगों की नजर में योगी की योजनाओं पर परोछ रूप से हमला करार दिया जा रहा है।

यह वही कॉलेज है जहां कभी क्लास में तिल डालने की भी जगह नहीं मिलती थी और आज आलम यह है कि लगभग 3798 वर्ग मीटर में स्थापित व 3217 वर्ग मीटर में निर्मित उक्त कॉलेज में मात्र 260 छात्र रह गए हैं , वह भी तब जब केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक शिक्षा के विकास को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर फरमान जारी कर रही है। यही नहीं प्रॉपर में स्थापित उक्त कॉलेज में स्वीकृत 34 अध्यापकों के सापेछ में मात्र 8 अध्यापकों ने ही बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी ले रखी है। जबकि इंटर में फिजिक्स केमिस्ट्री व इंग्लिश के टीचरों की तैनाती के बगैर ही ना जाने कॉलेज के इण्टर के छात्रों की बोर्ड परिच्छाएं कैसे करवा दी गई।

ऐसे में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों मंत्रियों व जिम्मेदारों द्वारा शिक्षा के विकास को लेकर की जा रही बड़ी बड़ी बातों का क्या मतलब रह जाता है।विकास के नाम पर क्या सिर्फ कागजी कोरम पूरे किये जा रहे हैं।हालांकि उक्त अव्यवस्थाओं को लेकर जब हमारे बहराइच प्रभारी डी0पी0श्रीवास्तव द्वारा 25-10-2017 से कार्यवाहक प्राचार्य का पद संभाल रहे सुभाष चंद्र पांडे से मुलाकात की गई तो कई मामलों को लेकर वह अपनी मायूसी का बयान शब्दों में नहीं कर सके, लेकिन कॉलेज में व्याप्त कई कमियों को लेकर दिनांक 17.05.2015 का कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य द्वारा सिटी मजिस्ट्रेट को प्रेषित एक पत्र पत्रांक संख्या 295- 300 को दिखाते हुए वर्षों की पीड़ा बताने की कोशिश जरूर की।जबकि हॉस्टल में रह रहे चंद छात्रों ने जो हकीकत बयां की उस पर वार्डन की जिम्मेदारी संभालने वाले नवीन मिश्रा हॉसटल की जिम्मेदारियों से भागते हुए नजर आए, लेकिन यहां जो सबसे बड़ा सवाल लोगों के बीच बना हुआ है वह यही है कि आजादी से पूर्व बीच शहर में स्थापित राजकीय इंटर कॉलेज क्या अपने पुराने अस्तित्व, नाम, मान व सम्मान को पुनः हासिल कर पाएगा।

जबकि प्रशाशन व शासन के शोषण का शिकार हुवा बहराइच का गौरव कहा जाने वाला यह विद्यालय वर्षो से हो रहे राजनीतिक जुमलों के बीच अपनी हैसियत के विपरीत मात्र 260 छात्रों की संख्या के साथ किसी तरह अपने वजूद को बचाते हुवे अपने प्राचीन प्रांगण में छात्रों के प्रवेश की राह देख रहा है।

एक ओर जहाँ जनपद में शासन की महत्वकांक्षी नीतियों को लेकर नोडल अधिकारी के समय समय पर दौरा करने व जगह जगह पर चौपाल लगाने के बाद भी जिले में जगह-जगह पर कुपोषण की तरह फैले भ्रष्टाचार की उन्हें गंध तक महसूस नहीं हो पा रही है,वहीँ दूसरी ओर इसी कॉलेज में शाशनादेश व मानकों की बखिया उधेड़ ते हुए लीलावती पत्नी मुनीब जो कि ग्राम एक डरवा थाना गड़वार जिला बलिया की रहने वाली बताई जा रही हैं रसोइया के पद पर कार्य कर रही हैं वह भी तब जब कॉलेज में ना तो इसका कोई लड़का पढ़ रहा है और ना ही संबंधी और कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्री पांडे पूछने पर बताते हैं कि उसकी नियुक्ति मेरे पदभार ग्रहण करने से पहले की है। वह यह भी कहते हैं कि जल्द ही इस विवाद को दूर कर मानक के अनुरूप दूसरे रसोइया की नियुक्ति कर दी जाएगी।स्कूल के प्रति जिम्मेदारों द्वारा दिए जा रहे बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो इस विद्यालय को चलाया नहीं बल्कि प्रदेश सरकार से आँख मिचौली कर किसी तरह से घसीटा जा रहा हो।

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