यदि ओजोन परत नष्ट हुआ तो निश्चित होगा पृथ्वी का विनाश- डा० गणेश पाठक

अंजनी राय

बलिया:- आज विश्व ओजोन दिवस पर ” समग्र विकास एवं शोध संस्थान, श्रीराम विहार कालोनी, बलिया के कार्यालय पर ” ओजोन परत को बचाने में हमारा उत्तरदायित्व” नामक विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया , जिसकी अध्यक्षता अमरनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा के प्राचार्य एवं समग्र विकास शोध संस्थान के सचिव पर्यावरणविद डा० गणेश कुमार पाठक ने किया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि कुंवर सिंह महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं भूगोलविद् डा० अंजनी कुमार सिंह रहे।

बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को संबोधित करते हुए डा० अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि आज विश्व के समक्ष तीन भूमण्डलीय समस्याओं में से ओजोन परत का क्षरण होना सबसे घातक समस्या है । वर्तमान समय में इस ओजोन परत में छिद्र हो जाने से सूर्य की परा बैगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आने को आतुर है, जिसके प्रभाव से पृथ्वी पर इतना तापमान हो जायेगा कि सब कुछ जलकर राख हो जायेगा।

अपने अध्यक्षीय उदृबोधन में कार्यक्रम की आध्यक्षता कर रहे डा० गणेश कुमार पाठक ने बताया कि वायुमण्डल में स्थित समताप मण्डल में 15- 20 किमी० की उंचाई पर नीलाभ तीव्र गंधयुक्त आक्सीजन गेस की परत मिलती है जो पृथ्वी के धरातल पर प्राप्त आक्सीजन गैस से भिन्न होती है। इसमें आक्सीजन के तीन अणु विद्यमान रहते हैं। इसी आक्सीजन पर पराबैगनी किरणों कू प्रभाव से ओजोन का निर्माण होता है। ओजोन परत एक क्षीण , किन्तु अत्यन्त प्रभावशाली परत होती है, जो पृथ्वी के लिए रक्षा कवच का काम करती है। इसके अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। कारण कि जब ओजोन परत का क्षय होगा तो सूर्य की घातक पराबैगनी किरणें इस ओजोन परत को छेद कर सीधे पृथ्वी के वायुमण्डल में पहुंचेंगी, जिससे सब कुछ स्वाहा हो जायेगा और पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो सकता है ।

डा० पाठक ने बताया कि ओजोन परत के क्षरण के लिए मानव की भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासिता पूर्ण जीवन ही उत्तरदायी है। मानव के क्रिया कलापों एवं विकास जन्य कार्यों से ग्रीन हाउस गैसें , जिनमें कार्बन डाई आक्साईड, मीथेन, नाइट्रस आक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन एवं हाइड्रो फ्लोरो कार्बन मुख्य हैं, वायुमण्डल में पहुंच कर ओजोन परत को नष्ट करने के लिए उत्तरदायी होती हैं

डा० पाठक ने बताया कि ओजोन परत के क्षरण का अत्यन्त घातक प्रभाव पौधों पर , कृषि पर, भूमण्डलीय ताप वृध्दि पर , मौसम एवं जलवायु के परिवर्तन पर, समुद्र तल में परिवर्तन, जातियों के वितरण परिसर एवं खाद्य उत्पादन पर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। डा० पाठक ने बताया कि यदि ओजोन परत मे हो रहे क्षरण को हमें रोकना है तो हमें ग्रीन हाउस गैसें उत्पन्न करने वाली वस्तुओं का कमसे कम प्रयोग करना होगा। अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब हमारा विनाश अवश्यंभावी हो जायेगा और हम अपना विनाश अपने ही हाथों कर डालेंगे और अन्ततः “हम ही शिकारी हम ही शिकार ” वाली कहावत चरितार्थ हो जायेगी।

गैष्ठी को डा० संजीव कुमार चौबे , डा० सुनील कुमार ओक्षा, डा० सुनील कुमार चतुर्वेदी, डा० सुनीता चौधरी , अभिनव पाठक आदि ने भी संबोधित किया । अंत में संस्थान के कोषाध्यक्ष ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *