सर्जिकल सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी हुई है, सेना पर सियासत सही नही है – रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा

तारिक जकी

नई दिल्ली. कांग्रेस ने दावा किया था कि मनमोहन सरकार में कुल छह बार सर्जिकल स्ट्राइक हुई। ये कार्रवाई 2008 से 2014 के बीच हुई।कांग्रेस ने मनमोहन सरकार में हुई सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी ट्विटर पर दी। जिसके मुताबिक पहली सर्जिकल स्ट्राइक 19 जून 2008 को असम राइफल्स, गोरखा रेजीमेंट ने भत्तल सेक्टर, पुंछ में की। दूसरी स्ट्राइक 30 अगस्त और एक सितंबर 2011 को शारदा सेक्टर में राजपूत और कुमायूं रेजीमेंट ने की। तीसरी स्ट्राइक छह जून 2013 को सावन पात्रा चेकपोस्ट पर हुई। चौथी स्ट्राइक 27-28 जुलाई 2013 को नाजपीर सेक्टर में हुई। पांचवा सेक्टर छह अगस्त 2013 को नीलाम वैली में हुई। वहीं छठीं सर्जिकल स्ट्राइक 14 जनवरी 2014 को हुई।

कांग्रेस द्वारा दी गई इस जानकारी के बाद से सियासत का रुख भले सेना की तरफ हुआ हो या न हुआ हो मगर खबरिया चैनलों ने इसको मुद्दा बनाने के बीड़ा शायद उठा लिया। अजीब किस्म की बहस होने लगी और एंकर के रूप में दलों के प्रवक्ताओ की तरह बाते सामने आने लगी। इस दौरान सभी खबरनवीसो के लिए शायद ये देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया। बेरोज़गारी, गरीबी, कालाधन, आतंकवाद सभी इस मुद्दे के आगे बौने नज़र आने लगे है।

बहरहाल, सच्चाई और मुद्दे की बातो पर बहस करवाने और ग्राउंड लेवल की तस्वीरों के लिए मशहूर खबरिया चैनल ने भी इस मुद्दे पर कुछ प्रतिक्रियाये दिखाई। इस दौरान रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने उस चैनल पर बात करते हुवे कहा कि भारतीय सेना मोदी सरकार के आने से पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई करती रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय सेना का चुनावी अभियान में इस्तेमाल किया जाना अच्छा संकेत नहीं है। जयपुर में एक संगोष्ठी में भाग लेने आए हुड्डा से जब कांग्रेस के इस दावे के बारे में पूछा गया कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में भी छह सर्जिकल स्ट्राइक हुईं थी तो उन्होंने कहा,’ सेना ने ऐसा पहले भी किया है। लेकिन मुझे इसकी तारीख और ये किन इलाकों में हुईं इसके बारे में ठीक ठीक पता नहीं है।’

उन्होंने कहा कि अब इसे सर्जिकल स्ट्राइक कहें या सीमा पार कार्रवाई लेकिन सेना ने पहले भी ऐसा किया है। हुड्डा ने बालाकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस बारे में भारतीय वायुसेना, वायुसेना अध्यक्ष द्वारा दिए गए आधिकारिक बयान पर शक करने की कोई वजह है। उन्होंने कहा था कि हमने तय लक्ष्यों पर हमला किया। मुझे नहीं लगता कि वायुसेना अध्यक्ष ने इन हमलों में जानमाल के नुकसान के बारे में कोई बात कही थी।’

उन्होंने हमारे संचार क्षेत्र में चीनी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर कहा, ‘यह बहुत ही गंभीर बात है। हमारे दूरसंचार क्षेत्र के ज्यादातार हार्डवेयर चीनी हैं। हम इन कंपनियों के चीन की सरकार से संबंधों के बारे में जानते हैं। मुझे लगता है कि यह यह बहुत ही गंभीर मसला है और हमें कम से कम हमारे अति महत्व वाले क्षेत्रों में भारत निर्मित हार्डवेयर पर विचार करना चाहिए।’ साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय सेना का इस्तेमाल चुनावी अभियानों में करना ठीक नहीं है और यह बात हमारा निर्वाचन आयोग भी कह चुका है।

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