सियासी ट्वीस्ट के बाद महाराष्ट्र में उद्धव की हुई ताजपोशी, जाने क्या क्या हुआ सियासी दंगल, किसकी क्या रही भूमिका

तारिक खान

महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक नया अध्याय लिखा गया। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक नया अध्याय लिख दिया है। शिवसेना ने इतिहास के इस अध्याय की शुरुआत आज उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से शुरू हो चुकी है। पूरे एक महीने से चल रही सियासी उठापटक आज शांत हो गई और महाराष्ट्र को अपना नया मुख्यमंत्री मिल गया। इस बीच मुंबई में शिवसेना भवन के पास बाल ठाकरे और इंदिरा गांधी से संबंधित पोस्टर लगाए गए थे।

शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की विशेषता वाला पोस्टर यह बतलाने के लिए है कि कांग्रेस का शिवसेना से रिश्ता पुराना है। इन पोस्टरें के जरिए उन नेताओं को तमाचा जड़ा गया है जिन्होंने इन दो अलग विचारधारा वाली पार्टियों के गठबंधन पर उंगली उठाई है। इतना ही नहीं इन पोस्टरों में शरद पवार भी हैं और यह स्पष्ट किया गया है कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर एक मजबूत सरकार बनी है।

इस बात को इन थ्रोबैक तस्वीरों के साथ समझाया गया है। पोस्टर में पुरानी तस्वीरें हैं जिसमें इंदिरा गांधी और बाल ठाकरे हाथ जोड़े एक-दूसरे को बधाई देते नजर आ रहे हैं। वहीं एक अन्य तस्वीर में बाल ठाकरे के साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार हैं, जहां उनका मेल-जोल काफी उत्साहित नजर आ रहा है। पोस्टर में कहा गया है, “बाला साहेब ठाकरे का सपना पूरा हुआ, मुख्यमंत्री शिवसेना से।” महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में बाल ठाकरे के बेटे ने आज शपथ ले लिया है।

यह पहली बार हुआ है कि शिवसेना नेता, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी पर है। इस दौरान एक महीने तक खूब जमकर सियासी उठा पटक चली। ज़मीनी सियासत से लेकर सोशल मीडिया तक पर सियासत का माहोल गर्म था। अगर कहा जाए कि एकता कपूर के सीरियल्स में इतने ट्वीस्ट नही आते जितने महाराष्ट्र की सियासत में आये और सरकार गठन में पेंच दर पेंच फंसी रही तो भले शब्द मजाकिया लगे मगर हकीकत से रूबरू रहेगा। किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत न देकर जनता ने त्रिशंकु विधानसभा का जनादेश दिया था। इस दौरान राज्यपाल ने पहले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया, मगर भाजपा सरकार बनाने में असफल रही।

शिवसेना लगातार फिफ्टी फिफ्टी के फार्मूले पर कायम रही और मुख्यमंत्री की आधी कुर्सी की मांग करती रही। वही दूसरी तरफ भाजपा कुर्सी पर सिर्फ अपना अधिकार रखना चाहती थी। इसके बाद दुसरे दलों का नंबर आया और एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस को बारी बारी से सरकार बनाने के निमंत्रण के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश राज्यपाल ने किया जिसे मंज़ूर कर लिया गया। सियासत में उठा पटक का दौर जारी रहा और शिवसेना सरकार बनाने की कवायद में शांत नही बैठी और लगातार एनसीपी तथा कांग्रेस से संपर्क में रही। इस दौरान कांग्रेस से भी बातचीत का रास्ता शरद पवार से होकर गुज़र रहा था।

देश के सबसे बड़े औद्योगिक राज्य में सरकार बनाना एक अलग ही मायने रखता था। शिवसेना के हाथो सरकार आने का रास्ता दिखाई दे रहा था। तीनो दल कामन मिनिमम प्रोग्राम में लगे थे और गठबंधन के रास्ते कायम हो चुके थे। सुबह होकर ही सरकार बनाने का दावा शिवसेना करने वाली थी। रात की ठण्ड आगोश में नीद अभी अपनी अगड़ाई ले रही थी कि सुबह का सूरज निकलने को बेताब था। जब सभी सुबह बिस्तरों पर अंगड़ाई लेने की सोच रहे थे तो सियासी ट्विस्ट आया और भाजपा ने राज्यपाल से मुलाकात करके अजीत पवार के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने भाजपा को मौका दिया और देवेन्द्र फण्डनवीस ने बतौर मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने बतौर उप मुख्यमंत्री शपथ ले लिया तथा राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया।

अचानक बदले इस माहोल में राज्य में ही क्या बल्कि पुरे मुल्क में सियासी हलचल पैदा कर दिया। मीडिया ने अपनी भूमिका वैसी ही निभाई जैसी अभी तक निभाती आ रही है और कई चैनलों ने इसको सियासी जंग में भाजपा की जीत करार देते हुवे शिवसेना को हाशिये पर रख दिया। दोपहर होते होते शिवसेना और एनसीपी ने जॉइंट प्रेस कांफ्रेंस किया और एनसीपी ने अजीत पवार को दिली विधायक दल के नेता का ओहदा छीन लिया। मीडिया के सुर वैसे ही रहे और लगातार इस बात को दरकिनार कर महाराष्ट्र में भाजपा शासन दुबारा आने की बहस पैनलो में बैठ कर होने लगी। शिवसेना ने शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और याचिका दाखिल कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने देश में संविधान की रक्षा के लिए रविवार को ही मामले की सुनवाई कर डाली। ट्वीस्ट तो यहाँ भी आया जब केंद्र सरकार के तरफ से पेश हुवे वकील ने दलील दिया कि राज्यपाल के कार्यक्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नही कर सकता है। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐसे आदेश पहले दिए इसकी नजीर हो। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यपाल से जवाब तलब करके सोमवार को सुनवाई पूरी किया और मंगलवार को फैसला दिया कि बुधवार को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट देकर भाजपा बहुमत सिद्ध करे। दूसरी तरफ एनसीपी के वह भी विधायक एनसीपी के पाले में आने लगे जो अजीत पवार के साथ शपथ ग्रहण कार्यक्रम में गए थे।

फिर क्या था खुद को अलग थलग पड़े अजीत पवार के पास घर वापसी के अलावा और कोई रास्ता नही बचा था और अजीत पवार ने खुद का इस्तीफा राज्यपाल को सौप दिया। उधर, मुख्यमंत्री बने देवेन्द्र फंडनवीस ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया और उसके बाद फ्लोर टेस्ट में जाने की जगह अपना इस्तीफा राज्यपाल को दे दिया। इसके बाद पहले से ही पड़े शिवसेना के सरकार बनाने के दावे को राज्यपाल ने स्वीकार किया और शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।

इस नाटकीय घटना क्रम के समापन के बाद आज जब शिवसेना की गठबंधन सरकार बन कर शपथ ले चुकी है तो मीडिया के अपने बोल भी उसी तरीके से बदल गए जैसे सियासी रंगत बदली थी। मीडिया ने भी इसके बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे के कसीदे पढने शुरू कर दिए। अब बाला साहेब ठाकरे का सपना पूरा हुआ के तर्ज कर कई चैनलों ने अपने कार्यक्रम दिखाये। सदैव लाल रंग (गेरुआ) कुर्ता पहनने वाले उद्धव ठाकरे के कसीदे ऐसे होने लगे कि आज उनके द्वारा भगवा रंग का कुर्ता पहना गया इसका भी वर्णन चैनलों के एंकर करते दिखाई दिए।

बहरहाल, महाराष्ट्र में बनी गठबंधन सरकार में गठबंधन के दलों का दावा है कि सरकार और गठबंधन पुरे पांच साल चलेगा। वही विपक्ष इसको मौके और सत्ता की सियासत कहकर अपनी भी भड़ास निकाल रहा है। सरकार बन चुकी है और कामन मिनिमिम प्रोग्राम में किसानो के क़र्ज़ माफ़ी का भी ज़िक्र है। कही न कही से किसानो के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। छगन भुजबल जैसे अनुभवियो को सरकार में जगह मिलना सरकार के सोच को ज़ाहिर कर रहा है। शपथ ग्रहण समारोह खत्म हो चूका है। मंच पर उद्धव ठाकरे से नाराज़ उनके भाई राज ठाकरे की उपस्थिति भी लोगो का ध्यान अपनी तरफ खीचने में कामयाब हुई है।

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