कोरोना का हुआ शेयर बाज़ार पर भी कहर, मार्किट गिरी मुह के बल, लगी लोअर सर्किट, निवेशको को दस लाख करोड़ की लगी चपत

तारिक खान

मुम्बई: कोरोना वायरस का कहर शेयर बाज़ार पर जारी है। कोराना वायरस न फैले, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें लॉकडाउन समेत कई कोशिशें कर रही हैं। कई कंपनियों ने भी उत्पादन बंद कर दिया है या बंद करने की तरफ बढ़ रही हैं। नतीजा शेयर बाज़ार में शेयर ताश के पत्तों की तरह गिर रहे हैं। बाज़ार में इस कदर हाहाकार मचा है कि सोमवार को 10 फ़ीसदी का लोअर सर्किट लगने के बाद कारोबार 45 मिनट के लिए रोक दिया गया। 9 बजकर 58 मिनट पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने कारोबार रोकने की घोषणा की।
बाज़ार खुलने के एक घंटे के भीतर ही निवेशकों को तक़रीबन 10 लाख करोड़ रुपए की चपत लग चुकी थी। मार्च के महीने में ये दूसरा मौक़ा है जब लोअर सर्किट के कारण बाज़ार में कारोबार रोकना पड़ा है। इससे पहले कोरोना ने 13 मार्च 2020 को भी डराया था और 10 फ़ीसदी गिरावट के बाद बाज़ार में कारोबार रोकना पड़ा था। भारतीय शेयर बाज़ार के इतिहास में ये पहली बार है जब एक ही महीने में दो लोअर सर्किट लगे हैं और इस कारण कारोबार रोकना पड़ा है।
इससे पहले, हर्षद मेहता घोटाला सामने आने पर 28 अप्रैल 1992 को बाज़ार में निचला सर्किट लगा था। क्या निजी बैंक और क्या सरकारी बैंक, दोनों ही लगातार और बुरी तरह पिट रहे हैं। इंडेक्स में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज़, इंफोसिस और टाटा कंसल्टेंसी के शेयरों में भी भारी बिकवाली आई। पिछले एक महीने के दौरान अधिकतर बैंकिंग शेयर 50 फ़ीसदी गिर चुके हैं और आधे भाव पर भी निवेशक इन्हें ख़रीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार गिर रहा है और ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुँच चुका है, मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां रुकी हुई हैं, कोरोना को लेकर अनिश्चितता का माहौल है और विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं, तो शेयर बाज़ारों पर असर तो दिखेगा ही। बाज़ार नियामक संस्था सेबी ने वायदा बाज़ार के लिए कुछ नई शर्तें जोड़ी हैं। कई शेयरों में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई है

ताकि बाज़ार में भारी उतार-चढ़ाव को रोका जा सके। हालाँकि इसका तात्कालिक असर अभी दिखता नज़र नहीं आ रहा है। वैसे कहा जाता है कि जो भी ऊँची ख़तरनाक लहरों में तैरने का माद्दा रखता है, वो ही शेयर बाज़ार में विजेता बनता है, लेकिन अभी जो हालात हैं, उसमें बहुत कम ऐसे होंगे जो ये हिम्मत दिखा सकें।

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