@SatishBharadwaj के “जीरो टालरेंस अगेंस्ट क्राइम” को ऐसे लागू कर रही कोतवाली पुलिस, पीड़ित का आरोप, मोबाइल चोरी का सबूत होने के बाद भी कोतवाली पुलिस चोरी नही गुमशुदगी दर्ज करवाने का बना रही दबाव

तारिक आज़मी

वाराणसी: एक तरफ वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश द्वारा अपराध के खिलाफ कोई समझौता न करने और अपराध नियंत्रण के फार्मूले को कोतवाली पुलिस शायद पूरी तरीके से धज्जियां उड़ा कर अपराध नियंत्रण कर रही है। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के काशी ज़ोन का थाना कोतवाली इस समय चर्चा का केंद्र है। कोतवाली पुलिस पर पीडित ने आरोप लगाया है कि उसके चोरी हुवे मोबाइल की शिकायत दर्ज करने के बजाए पुलिस उसके ऊपर दबाव डाल रही है कि मोबाइल गुमशुदगी दर्ज करवा लो।

घटना के सम्बन्ध में सप्तसागर दवा मंडी निवासी संतोष गुप्ता के तहरीर और बयानों को आधार माने तो 22 अप्रैल को वह सुबह विशेश्वरगंज फुलमंडी से पूजा हेतु फुल खरीद रहे थे तभी उनके जेब से “एप्पल आई फोन 12” किसी के द्वारा निकाल लिया गया। जिसकी शिकायत लेकर जब वह कोतवाली गए तो वहा मोबाइल चोरी हुआ या गुमशुदा है के सम्बन्ध में उनके पास इसका कोई साक्ष्य नही था कि वह मोबाइल चोरी हुआ है। जिसके बाद वह वापस आकर खुद के मेहनत से मामले में तफ्तीश करते है और लोगो से आग्रह कर उनके सीसीटीवी फुटेज देखते है। फुटेज से उनको यह साक्ष्य मिल जाता है कि फुलमंडी में एक युवक के द्वारा मोबाइल निकाल लिया गया है।

इतना साक्ष्य मिलने के बाद शायद पीड़ित संतोष गुप्ता खुश होकर कोतवाली गए होंगे कि अब पुलिस उनके मोबाइल चोरी की शिकायत दर्ज कर लेगी और मामले में साफ़ सीसीटीवी फुटेज निकाल कर मोबाइल चोरी की इस घटना का खुलासा करगे। पीड़ित की माने तो उसकी ख़ुशी शायद गेट के बाहर तक ही थी। पीड़ित संतोष गुप्ता के अनुसार थाने के अन्दर जाने पर उनके शिकायत को दर्ज करने के बजाये पुलिस कर्मी उनके द्वारा एक लाख से अधिक का मोबाइल फोन इस्तेमाल करने को लेकर मजाक उड़ाने लगे। पीड़ित संतोष गुप्ता की माने तो कोतवाली पुलिस पिछले दो दिनों से अपने एक ही बात पर रुकी है कि मोबाइल चोरी की शिकायत दर्ज नही करेगे बल्कि मोबाइल की गुमशुदगी दर्ज करवा लो।

इस सम्बन्ध में हमने जब इस्पेक्टर कोतवाली भरत उपाध्याय से फोन पर बात किया तो उन्होंने ऐसे किसी घटना के संज्ञान में होने साफ़ साफ़ मना कर दिया और कहा कि कोई मामला ऐसा संज्ञान में नही है। मगर हमसे बातचीत में इस्पेक्टर कोतवाली इस बात को ज़रूर कहते है कि वह आईफोन एक लाख का प्रयोग नही कर सकते है। जबकि हमने अपनी बातचीत में मोबाइल के मॉडल की बात ही ही किया था। बहरहाल, इस्पेक्टर साहब ने आईफोन के सम्बन्ध में जिस प्रकार हमसे वक्तव्य दिया उसको सुन कर तो यह अहसास होता है कि पीड़ित अगर ये बात कह रहा है कि पुलिस उसका मज़ाक कर रही है तो बात में कुछ सत्यता भी समझ में आने वाली है।

बहरकैफ, पीड़ित तहरीर लेकर दो दिनों से थाने का सुबह, दोपहर, शाम तीन वक्त दवा के डोज़ की तरह चक्कर काट रहा है। मगर समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने उसका मुकदमा दर्ज नही किया है। इसको देख कर तो यही प्रतीत होता है कि कोतवाली पुलिस क्राइम कंट्रोल का सबसे आसान रास्ता अख्तियार कर चुकी है कि क्राइम ही रजिस्टर्ड न करो। अब देखना होगा कि पीड़ित को इन्साफ मिलता है या फिर इसके लिए उसको लम्बी जद्दोजेहद जारी रखना है।

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