ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: अदालत ने मुक़र्रर किया 30 मई की तारीख, 2 घंटे लम्बी चली अदालत में जिरह, मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट की नजीरो संग पेश किया दलील, जाने क्या रहा आज दलील में

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में आज जिला जज की अदालत में मस्जिद कमेटी की अर्जी अ07 नियम 11 के तहत ज़बरदस्त बहस हुई। आज मस्जिद कमिटी के जानिब से बहस हुई और दलील पेश किया गया। मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव और मुमताज़ अहमद ने ज़बरदस्त दलील पेश किया और अपनी दलीलों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की कई नजीरे पेश किया। अदालत ने इसकी अगली सुनवाई की तारीख 30 मई मुक़र्रर किया है। 30 मई को भी मस्जिद कमिटी अपने अर्जी अ0 7 नि0 11 के तहत दाखिल अर्जी पर अपनी दलील पेश करेगा।

आज दौरान जिरह मस्जिद कमिटी के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुवे दलील दिया कि वादी मुकदमा यह स्वीकार करते है कि मस्जिद का निर्माण 1669 में किया गया। यह बात मस्जिद के अस्तित्व होने के वर्ष को वह प्रमाणित कर रहे है। मामले में स्पष्ट है कि यह “प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991” का खुला उलंधन है। इस सम्बन्ध में वाद सुने जाने योग्य नही है।

एड0 अभय नाथ यादव और एड0 मुमताज़ ने दलील पेश करते ह्वुए कहा कि वादी पक्ष जिस संपत्ति का विवाद लेकर सामने आया है वह अराजी वह भगवान् आदी विशेश्वर की संपत्ति बताता है और दावा करता है कि ये संपत्ति भगवान आदी विशेश्वर की है जिसको अराजी नम्बर 9121 और 5 कोस की संपत्ति कहता है। मगर वादी मुकदमा ये नही बता रहे है कि भगवान आदि विशेश्वर को ये संपत्ति कहा से मिली।

एड0 अभय नाथ यादव ने दलील के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के एक मुक़दमे की नजीर पेश करते हुवे अदालत से कहा कि जैसे हम और आप किसी संपत्ति के मालिक हो सकते है, वैसे ही भगवान् भी किसी संपत्ति का मालिक हो सकता है बशर्ते उसको वह संपत्ति कोई गिफ्ट करे। यहाँ वाद में ये नही दर्शाया गया है कि भगवान् को संपत्ति किसने गिफ्ट किया। ऐसे में हमको गलत कहने वाले खुद कहा से सही है, और अगर वो सही नहीं है तो हम सही है। अगर वह संपत्ति के मालिक नही है तो हम मालिक है। उनको पहले अपना संपत्ति के लिए मालिकाना हक़ बताना होगा।

एड0 अभय नाथ यादव ने आज जिरह के दरमियान अदालत का ध्यान मूल वाद पर दिलवाया और कहा कि ये अलग अलग जगह, अलग अलग बात कहते है। कभी कहते है कि पूरी मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाया गया तो कभी कहते है कि मंदिर का एक हिस्सा तोड़ कर मस्जिद बनाया गया। इनका दावा है कि वर्त्तमान मंदिर अहिल्या बाई ने बनवाया है। सभी जगह ये अलग अलग कहानियो पर आधारित तथ्य रख रहे है।

एड0 अभय नाथ यादव और एड0 मुमताज़ ने सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी नजीर पर अदालत का ध्यान दिलाते हुवे बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा है कि बिना तथ्यों और साक्ष्य तथा प्रमाण के सिर्फ किससे कहानियो पर आधारित मुकदमो की सुनवाई नही होनी चाहिए और ऐसे मुकदमो को तुरंत ख़ारिज कर देना चाहिए। ये मूल वाद ही पूरा किससे कहानियो पर आधारित है।

आज दो घंटे तक चली इस जिरह में अदालत परिसर में वादी मुकदमा प्रतिवादी मुकदमा और पैरोकारो तथा अधिवक्ताओं सहित कुल 35 लोग उपस्थित थे। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारिख 30 मई मुकर्रर कर दिया है। अब 30 मई को भी मस्जिद पक्ष अपने अर्जी जो आदेश संख्या 7 के नियम 11 के तहत दाखिल है पर जिरह करेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 30 मई को होनी है वही फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर केस की भी अगली सुनवाई 30 मई को होनी है। यानी सोमवार को दो अदालतों में इस प्रकरण में सुनवाई होगी।

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