गले में लटकी थी कबूतर के एक पोटली, ग्रामीणों ने चारा डाल कर पकड़ा तो पोटली के अन्दर था एक उर्दू में लिखा ख़त और एक तावीज़, पुलिस जुटी जांच में

आदिल अहमद

कानपुर: आपने फिल्म का गाना सुना होगा “कबूतर जा जा जा”। साथ ही किस्से कहानियो और इतिहास में कबूतर का मैसेंजर के रूप में उपयोग भी पढ़ा होगा। अमूमन उस दौर में सेना और राजा के जासूस दूसरे राज्यों से संदेश इकट्ठा करने के लिए या संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल करते थे। इसके अलावा भारत के कई इलाकों में तंत्र मंत्र में भी पहले कबूतरों का इस्तेमाल होता था।

मगर कानपुर में एक ऐसा कबूतर पकड़ में आया है जिसके गले में एक तावीज़ थी। उसके गले में एक पत्र था जो उर्दू में लिखा था और उसके ऊपर खून के कुछ छीटे भी दिखाई दे रहे थे। ये सब कुछ कबूतर के गले में बंधी एक पोटली में था। इस कबूतर को किसानों ने देखा तो उसको दाना डालकर घेर कर पकड़ लिया। इस पोटली को खोला गया तो उसमें एक उर्दू में लिखा हुआ पत्र मिला। जिसमें कई जगह खून के छींटे भी लगे थे। किसानों को यह संदिग्ध मामला लगा इसलिए तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।

सुचना पाकर मौके पर पुलिस आई और पकडे गए कबूतर को ले गई। पुलिस ने उस पत्र को उर्दू के जानकार एक शख्स से पढ़वाया। मगर ख़त में कुछ भी संदिग्द्ध नही दिखाई दिया। ज्वाइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि इस कबूतर को किसानों ने गांव में पकड़ा था, उसके गले में ताबीज था, उसको खोलकर निकाला गया तो उसमें एक पत्र था जो उर्दू में लिखा था, उसको पढ़ पाया गया। ज्वाइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी की माने तो उसमें कोई खास संदिग्ध चीज नहीं मिली, फिर भी उसकी जांच की जा रही है।

फिलहाल मामले में पुलिस जांच में भी लगी है कि आखिर इस कबूतर को किसने छोड़ा और उसके गले में लिखे खत का मतलब क्या है और खून के छीटे किसके हैं। फिलहाल कबूतर को लेकर इलाके में तरह तरह की चर्चाओं का दौर जारी है। कोई इसको तंत्र मंत्र का हथकंडा बता रहा है तो कोई किसी इश्कबाज़ की आशिकी का पैगाम बता रहा है। कोई इश्क में धोखा खाए किसी घायल आशिक के दर्द से जुडा मामला भी बता रहा है।

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