अडानी ग्रुप पर फ़ोर्ब्स पत्रिका का आरोप: गौतम अडानी के बड़े भाई ने शेल कंपनियों के ज़रिये अडानी ग्रुप को बढाया

तारिक़ खान

भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के मार्किट कैप हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद काफी प्रभावित हुई है। वही दूसरी तरफ इस रिपोर्ट के खिलाफ और जाँच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दरमियान सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता ज़ाहिर किया है और कहा है कि जाँच कमेटी का निर्माण अदालत करेगी। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बंद लिफाफे में प्रस्तावित नामो को लेने से मना कर दिया और कहा कि इससे जांच में पारदर्शिता नही रहेगी।

इन सबके बाद अडानी समूह की दिक्कते कम होती नही दिखाई दे रही है. अडानी समूह पर अब मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने अपने लेख प्रकशित करते हुवे गौतम अडानी के बड़े भाई जो सुर्खियों से दूर रहते है की अडानी समूह की कंपनियों के विस्तार में केंद्रीय भूमिका का आरोप लगाया है। फोर्ब्स पत्रिका ने अपने लेख में गौतम अडानी के बड़े भाई पर आरोप लगाया है कि उन्होंने विभिन्न ऑफशोर क्षेत्रों में कंपनियों का एक कथित जाल खड़ा किया, जिनका खुलासा नियामक अधिकरणों के सामने नहीं किया गया।

फोर्ब्स पत्रिका की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में विनोद शांतिलाल अडानी का नाम पर्दे के पीछे से काम करने वाले मुख्य पात्रों में से एक के रूप में लिया गया था। मालूम हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। अडानी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्य में 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है।

बताते चले कि हिंडनबर्ग रिसर्च हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप है कि ‘ऑफशोर शेल कंपनियों की विशाल भूलभुलैया’ के पीछे 60 वर्षीय व्यवसायी है, जिसने ‘अडानी की सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध और निजी इकाइयों में अरबों डॉलर इधर-उधर किए थे, जहां अक्सर संबंधित पार्टी के सौदों की प्रकृति के लिए जरूरी खुलासे नहीं किए गए थे।’ इस मामले में हिंडनबर्ग को दिए विस्तृत जवाब में अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह सभी कानूनों और सूचना सार्वजनिक करने संबंधी नीतियों का पालन करता है।

अडानी समूह ने यह भी दावा किया था कि विनोद अडानी ‘किसी भी अडानी सूचीबद्ध इकाई या उनकी सहायक कंपनियों में कोई प्रबंधकीय पद नहीं रखते थे और दैनिक मामलों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।’ फोर्ब्स पत्रिका  ने 17 फरवरी को प्रकाशित लेख में सिंगापुर स्थित पिनेकल ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की अज्ञात भूमिका के बारे में लिखा था, जिसे अप्रत्यक्ष तौर पर विनोद अडानी द्वारा रूस के वीटीबी बैंक से ऋण के लिए अडानी समूह के प्रमोटर शेयरों को कथित तौर पर गिरवी रखने के लिए इस्तेमाल किया गया था। फोर्ब्स पत्रिका का दावा है कि पिनेकल ने 2020 में रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी बैंक के साथ एक ऋण व्यवस्था में प्रवेश किया था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल 2021 तक पिनेकल ने 263 मिलियन डॉलर उधार लिए थे और एक अनाम संबंधित पार्टी को 258 मिलियन डॉलर उधार दिए थे।’

फोर्ब्स पत्रिका का दावा है कि सिंगापुर की फाइलिंग के अनुसार, पिनेकल ने रूसी सरकार के स्वामित्व वाले बैंक से ऋण के लिए गारंटर के रूप में दो निवेश फंडों की पेशकश की थी। इन निवेश फंडों की पहचान एफ्रो एशिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड और वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड के रूप में की गई थी। फोर्ब्स के लेखों में भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की दो फाइलिंग का जिक्र है, जो जून 2020 और अगस्त 2022 की हैं और दिखाती हैं कि ‘विनोद अडानी मॉरीशस स्थित एक्रोपोलिस ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के मालिक हैं, जो वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड के 100 फीसदी शेयर का मालिकाना हक रखती है।’

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