राजू पाल हत्याकांड से शुरू हुई थी उमेश और अतीक में दुश्मनी, पहले भी हो चुका था अपहरण, झूठे हत्या मामले में फ़साने का प्रयास, जाने इस दुश्मनी में अब तक का कितना सहना पड़ा उमेश को और आखिर गई उसकी जान

रेहान अहमद

प्रयागराज। पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या के बाद शुरू हो गई थी। राजू पाल की हत्या के बाद उमेश पाल को अतीक अहमद गिरोह ने अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया और लगातार उमेश को प्रताड़ित करता रहाl लेकिन उमेश फिर भी इन्साफ की लड़ाई लड़ता हुआ एक योद्धा के तरह आज आखिर अपनी जान गवा बैठाl उमेश शुक्रवार को भी कोर्ट में अतीक गिरोह द्वारा खुद के अपहरण के मामले में गवाही देने गए हुए थे।

जिले और राजधानी का शायद ही कोई अफसर हो, जिससे उमेश पाल ने अपनी जान पर खतरे का अंदेशा न जताया हो। सबको उमेश ने जान के खतरे की चिट्ठी दे रखी थी। शासन के निर्देश पर उमेश को हथियारों के साथ दो सिपाही सुरक्षा में मिले थे, लेकिन वे भी उमेश की जान नहीं बचा सके। आखिर शुक्रवार को उमेश का सच के लिए चलता संघर्ष खत्म हुआ और उमेश ज़िन्दगी की जंग हार बैठेl जिसमे उनको अपनी ज़िन्दगी गवानी पड़ गईl पुलिस मामले में जांच कर रही हैl अब यह सवाल भी फिजाओं में घूम रहा है कि जब उमेश ने खुद के जान का खतरा बताते हुवे प्रदेश के हर एक अधिकारी से गुहार लगाया थाl तब क्यों नही प्रशासन ने उमेश की शिकायतों और उसकी शंकाओं का अहसास कर सुरक्षा और मजबूत करने की सोचीl

बता दें कि साल 2005 में 25 जनवरी को बसपा विधायक राजू पाल की धूमनगंज थाना क्षेत्र के सुलेम सराय क्षेत्र में स्वचालित हथियारों से हत्या कर दी गई थी। इस हमले में राजू पाल के साथ संदीप यादव और देवी लाल भी मारे गए थे। राजू पाल के गनर समेत कई लोग घायल हुए थे। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने इस मामले में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल और गुफरान समेत नौ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मुकदमे के मुख्य गवाह राजू पाल के बाल सखा और रिश्तेदार उमेश पाल बने थे।

अतीक को यह बात नागवार गुजरी और वह इसी बात को लेकर उमेश से रंजिश रखने लगाl जिसके बाद अतीक अहमद गिरोह और उमेश पाल के बीच दुश्मनी शुरू हो गईl लेकिन उमेश डरे नहीं। वे लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अतीक अहमद गिरोह का डटकर मुकाबला करते रहे। जब सीबीआई जांच शुरू हुई, तो भी उमेश ही मुख्य गवाह बने थे। अतीक अहमद गिरोह लगातार उमेश को टार्चर करता रहा। कभी उमेश का अपहरण तो कभी कचहरी में पकड़कर धमकी दियाl कभी रंगदारी मांगी, तो कभी हत्याकांड में जबरन नामजद करा दिया गया।

बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2008 को अतीक अहमद गिरोह ने अपहरण कर लिया। उमेश को किसी अज्ञात जगह ले जाकर पीटा गया। धमकाया गया कि अगर राजू पाल हत्याकांड में गवाही दी तो जान से मार दिया जाएगा। इसके बाद उमेश बहुत डर गए थे, लेकिन हार नहीं मानी। उमेश ने माफिया अतीक अहमद, अशरफ समेत गिरोह के कई गुर्गों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी। उमेश पाल अपहरण के मामले में 11 जुलाई 2016 में गवाही देने के लिए कचहरी पहुंचे थे। कचहरी में ही उमेश पर हमला कर दिया गया। उन पर गोलियां चलाईं गईं। संयोग से उमेश बच गए थे। उमेश ने अतीक, अशरफ, हमजा समेत गिरोह के अन्य शातिरों के खिलाफ हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस हमले के बाद भी उमेश नहीं झुके।

इसके बाद भी अतीक अहमद गिरोह उमेश को लगातार उत्पीडित कर रहा था। जब हमले के बाद भी उमेश नहीं माने तो साल 2016 में 14 जुलाई को धूमनगंज के जितेंद्र पटेल की हत्या में उमेश को नामजद करा दिया। उमेश और घर वाले भौचक्के रह गए। उमेश को फरार होना पड़ा, लेकिन जांच में सब साफ हो गया। जितेंद्र की हत्या में उमेश को बाइज्जत बरी कर दिया गया। उमेश पाल वकालत करने के साथ साथ प्रापर्टी डीलिंग का भी काम करते थे। साल 2022 फरवरी में उमेश धूमनगंज में अपनी साइट पर थे। उसी समय अतीक अतीक अहमद के कई गुर्गे असलहा लेकर पहुंच गए। गुर्गो ने उमेश को धमकाया कि अतीक ने एक करोड़ मांगे हैं। अगर नहीं रुपये नहीं दिए तो जान से मरवा दिया जाएगा। अगर प्रापर्टी डीलिंग करनी है तो एक करोड़ देने पड़ेंगे। हालांकि घटना फरवरी की है, लेकिन पुलिस ने इसे अगस्त महीने में दर्ज किया था।

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