पटना हाई कोर्ट ने बिहार में जारी जाती सर्वे पर लगाई अंतरिम रोक

अनिल कुमार

डेस्क: बिहार में जारी जाति आधारित सर्वे पर पटना हाई कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। पटना हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने ये फ़ैसला सुनाया। हाई कोर्ट का ये अंतरिम फ़ैसला है और इस मामले अंतिम निर्णय अभी आना बाक़ी है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई, 2023 को होगी। पटना हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर पिछले दो दिनों से बहस चल रही थी।

कोर्ट ने अब तक इकट्ठा की गई तमाम जानकारियों को सुरक्षित रखने को कहा है। गौरतलब है कि बिहार में इन दिनों सर्वे के दूसरे चरण का काम चल रहा था। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने गृह ज़िले पहुँचकर तमाम जानकरियाँ साझा की थीं। सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही सरकार का पक्ष रख रहे थे। उनका कहना रहा कि इस सर्वेक्षण के आधार पर सरकार बिहार की जनता के लिए नीतियाँ बनाएगी।

वहीं, इसके ख़िलाफ़ दायर याचिकाकर्ताओं के वकील शाश्वत ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि जातीय सर्वे के ख़िलाफ़ बहस कर रहे वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश के सामने यह बात रखी कि राज्य सरकार सर्वे की आड़ में जनगणना करा रही है जबकि यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है। उन्होंने आगे कहा कि इस बहस में यह बात भी रखी गई कि राज्य सरकार की ओर से की जा रही जातीय सर्वेक्षण ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन है। साथ ही इकट्ठा की जा रही जानकारी के सुरक्षा का भी सवाल है।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस जनगणना में जिस तरह से ट्रांसजेंडर की पहचान को जातीय और लैंगिक पहचान को आपस में मिला दिया गया है, याचिका इस मसले को भी लेकर दायर की गई थी। हमें उम्मीद है कि अंतिम फ़ैसला भी हमारे पक्ष में होगा।

इस आदेश को लेकर जनता दल यूनाइटेड के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि यह हाई कोर्ट का अंतरिम फ़ैसला है, इसे अंतिम नहीं माना जाना चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार नहीं चाहते कि जातीय गणना हो। नीतीश कुमार की गलतियों की वजह से हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई है।

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