उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। प्रदेश में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में इस बार के चुनाव में सभी पार्टियों के बड़े नेताओं की साख दांव पर है। हालांकि जिन चार नेताओं के बारे में हम आपको बता रहे हैं। वे सभी बीजेपी के सांसद हैं। इन नेताओं की छवि पिछले ढाई सालों में कैसी रही है इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है।
वाराणसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है। पीएम अपनी चुनावी रैलियों में खुद को यूपी वाला कहते हैं। पीएम मोदी की साख बनारस की सभी सीटों पर दांव पर होगी। बीजेपी पीएम मोदी के फेस पर ही विधानसभा चुनाव लड़ रही है। पीएम के नोटबंदी के फैसले का परिणाम (सकारात्मक आ नकारात्मक) भी इन चुनावों में मिल जाएगा। कुल मिलाकर पीएम मोदी के लिए बनारस की सीटों पर तो साख बचाना अहम चुनौती होगी।
लखनऊ
राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र लखनऊ है। चूंकि वे केंद्र में मंत्री हैं तो लखनऊ की सीटों पर बीजेपी की स्थिति कैसी रहेगी, ये उनकी ताकत का अंदाजा लगाएगी। राजनाथ बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं, और उन्हें बीजेपी की तरफ से यूपी में सीएम पद के लिए भी नामित किया जा सकता है। लिहाजा सांगठनिक तौर पर उन्हें इस जिम्मेदारी का अंदाजा भी होगा। साफ है कि राजनाथ की साख लखनऊ की सीटों पर तो दांव पर रहेगी ही।
कानपुर
डॉ मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष हैं एवं वर्तमान समय पर कानपुर शहर से सांसद हैं। लेकिन कानपुर में मुस्लिम और ओबीसी वोटबैंक ज्यादा होने की वजह से सपा को सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें मिलती रही हैं। इलाहाबाद के रहने वाले मुरली बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में भी हैं। लोकसभा में वे कानपुर से लड़े और जीते भी। लिहाजा बीजेपी को कानपुर की विधानसभी सीटों पर जिताना उनके लिए चुनौती होगी।
गोरखपुर
योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सांसद हैं। सीएम पद के संभावित उम्मीदवार भी हैं, लिहाजा आस-पास की विधानसभा सीटों पर उनकी अस्मिता दांव पर है। हालांकि योगी समर्थकों को उस वक्त हताशा हुई जब उन्हें बीजेपी की चुनावी समिति में भी शामिल नहीं किया गया। सवाल यही है कि क्या योगी गोरखपुर के आस-पास की विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जिता पाएंगे।