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बॉलीवुड की ‘बंदिनी’ नूतन, जिसनें अपने दौर में लिखी थी लोकप्रियता की नयी कहानी

करिश्मा अग्रवाल
अपने दौर की सफल और लोकप्रिय और भारतीय अदाकाराओं में से एक नूतन के साथ एक मासूम पर सशक्त अभिनय वाली की छवि जुड़ी है ।बीते 4 जून,2017 को नूतन की 81वी जयंती थी ।उनकी 81वीं जयंती पर बॉलीवुड की ‘बंदिनी’ नूतन को याद करते हुए उनके सम्मान हेतु गूगल ने विशेष डूडल के जरिये अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।गूगल ने भी डूडल के जरिये इस अभिनेत्री के चेहरों के विभिन्न भावों से गूगल के दो ‘ओ’ बनाकर इस अदाकारा को श्रद्धांजलि दी।

फ़िल्मी परिवार में जन्मी थी नूतन:
अभिनेत्री शोभना समर्थ और फिल्मकार कुमारसेन समर्थ के यहां 4 जून,1936 में जन्मी नूतन ने स्कूल के दिनों से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था।अपने फिल्मी सफर की शुरआत ‘हमारी बेटी’ से की और करीब चार दशकों से ज्यादा लंबे समय तक सिनेमा जगत को अपने अभिनय से रोशन किया।
70 से ज्यादा फिल्मों में किया अभिनय:
नूतन ने करीब 70 भारतीय फिल्मों में काम किया।  ‘बंदिनी’, ‘सुजाता’, ‘सीमा’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘मिलन’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ जैसी दर्जनों हिट फिल्मों में अपने बेहतरीन और भावपूर्ण अभिनय से नूतन फिल्मों और भूमिकाओं के लिये निर्देशकों की पहली पसंद बन गई थी।
पति को नहीँ पसंद था नूतन का अभिनेत्री होना:
नूतन का विवाह ११ अक्तुबर १९५९ को लेफ्टिनेंट रजनीश बहल से हुआ था। उनके पति  रजनीश बहल काफी सख्त मिजाज के थे और उन्हें नूतन का फिल्मों में काम करना जरा भी पसंद नहीं था ,लेकिन बाद में नूतन की इच्छा का सम्मान करते हुए पति रजनीश बहल ने कुछ शर्तों के साथ नूतन का फिल्म जगत में काम करना स्वीकार कर लिया।
जब अभिनेता संजीव कुमार को जड़ दिया था ‘तमाचा’:
नूतन की छवि हमेशा एक साफ-सुथरी अभिनेत्री की रही पर इसका अर्थ यह नहीं था कि उनके केरियर में कभी कोई विवाद नहीं रहा।यह उस दौर की बात है जब नूतन अपनी प्रसिद्धि के चरम पर थी और सफल अभिनेता संजीव कुमार के साथ एक फिल्म कर रही थी। परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि साथ फिल्म कर रहे नूतन और संजीव कुमार का नाम मीडिया ने एक साथ छापना शुरू कर दिया और उसे कुछ और ही दर्शाने का प्रयास किया, जिसके कारण नूतन के निजी जीवन में काफी तनाव पैदा हो गया।इसी दरमियान कुछ ऐसा घटा की नूतन को लगने लगा की शायद एक संजीव कुमार ही पब्लिसिटी पाने के चक्कर में उनके साथ अपना नाम जोड़कर अफवाह फैला रहे हैं। और नूतन ने आव देखा ना ताव और संजीव कुमार को सभी के सामने एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
कई अवार्ड्स के अलावा पद्म श्री से भी हुई सम्मानित:
नूतन को उनके बेहतर अभिनय के लिए बहुत से अन्य पुरस्कारों के अलावा ६ बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला।नूतन को फिल्म ‘सीमा’ के लिए पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा ‘सुजाता’ , ‘बंदिनी’ , ‘मिलन’ और ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का और ‘मेरी जंग’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।नूतन को 1974 में ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया था।
जल्दी ही दुनिया को कह दिया अलविदा:
54 साल की उम्र में नूतन का देहांत फ़रवरी १९९१ को ब्रेस्ट कैंसर की वजह से हो गया।नूतन के पुत्र मोहनीश बहल भी हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय करते हैं। नूतन की बहन तनुजा और भतीजी काजोल भी हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में शामिल हैं। आज भले ही नूतन जीवित नहीं है, लेकिन उनका जीवट अभिनय ,उम्दा फिल्में और उनकी लोकप्रियता सिने जगत प्रेमियों के बीच हमेशा जीवित रहेगी।
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