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कृषि विज्ञान केंद्र कृषि तकनीकी स्थानांतरण का माध्यम: कुलपति

प्रत्यूष मिश्रा

बांदा। कृषि विज्ञान केन्द्र मौजूदा समय में कृषि तकनीकी स्थानांतरण का प्रमुख माध्यम है। कृषि वैज्ञानिकों के माध्यमों से देश के दूर दराज क्षेत्रों मंे भी कृषि से संबन्धित ज्ञान की गंगा बहाई जा रही है। वैज्ञानिकों के द्वारा कृषि के हर क्षेत्र में कृषकों की आवश्यकता, मांग व क्षेत्रानुकूल तकनीकी का स्थानांतरण करना समय की मांग है। कृषकों में समय समय पर क्षमता वर्धन हेतु प्रशिक्षण, एक्सपोजर विजिट, व्याख्यान प्रदर्शनी, किसान मेला, वैज्ञानिक कृषक वार्ता, फार्म स्कूल, व प्रक्षेत्र दिवस के माध्यम से कृषि तकनीकी व ज्ञान को प्रसारित किया जाता है। यह बातें कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति महोदय डा. यू.एस.गौतम ने कृषि कुम्भ 2019, गांधी मैदान, मोतिहरी, पूर्वी चंपारन, बिहार में चल रहे विराट किसान मेला को सम्बोधित करते हुये कहा।

डा. गौतम ने प्रदर्शनी में लगे हुये विभिन्न स्टालों का भ्रमण किया तथा ऐसी कृषि तकनीकी एवं कृषि के क्षेत्र में नवाचार जो बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र के अनुकूल हो उस तकनीकी को बुन्देलखण्ड में प्रसारित के लिये विभिन्न संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों से तकनीकी हस्तनातंरण करने का अनुरोध किया। कृषि कुम्भ 2019 का उद्घाटन माननीय राज्यपाल बिहार सरकार श्री लालजी टंडन के द्वारा किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय कानून एवं न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह उप मुख्यमंत्री बिहार सरकार, श्री सुशील कुमार मोदी एवं कई कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तथा वैज्ञानिक व प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहे। डा. गौतम ने अपने उद्बोधन में बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में जैविक कृषि के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने हमीरपुर जिले को जैविक जिला घोषित किये जाने तथा उसके पारिस्थितिकी महत्व के बारे में उपस्थित लोगों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि जैविक कृषि व उत्पाद का बाजार बड़ी तेजी से बढ रहा हैै इन उत्पादों की मांग देश व विदेश में बढ रही है, किसानों को इस अवसर का लाभ उठाते हुये जैविक कृषि तथा उसके उत्पाद से बाजार का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना चाहिये।

कृषि कुम्भ का मुख्य उददेश्य कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में नवाचार तथा तकनीकियों का प्रचार प्रसार करना था। कृषि कुम्भ में क्षेत्रानुकुल एवं विभिन्न फसलों से सम्बन्धित तकनीकियों का प्रसार करने हेतु माॅडल, प्रदर्शनी एवं कृषि उपयोगी साहित्य के साथ – साथ कृषक वैज्ञानिक संवाद स्थापित किया गया। कृषक से कृषक का संवाद प्रमुख आकर्षण का केन्द्र रहा। जिसमें कृषि एवं विभिन्न क्षेत्रों के प्रगतिशील कृषकों द्वारा अन्य कृषकों को अपने तकनीकी का प्रसार करना था।

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