प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञांनपुर, भदोही। अधिक किराया लेने की चाहत में किसी अनजान शख्स को मकान किराए पर देना मकान मालिक को भारी पड़ सकता है ।.इसमें थोड़ी सी लापरवाही बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकता है। ऐसे में अगर सुरक्षित रहना है तो सबसे पहले मकान किराए पर देने से पहले किराएदार की जांच करा लें और पुलिस से अनुमति मिलने के बाद ही उन्हें किराए पर रखें। सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह अति आवश्यक है।
आपको बता दें कि वैसे भी किराएदार के सत्यापन की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। लेकिन पुलिस समय-समय पर घर-घर जाकर किराएदार के सत्यापन संबंधित कागजात की छानबीन कर सकती है। ऐसे में अगर किसी किरायेदार का सत्यापन नहीं हुआ हैं। तो मकान के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है। लेकिन इस तरह की कार्यवाही इलाके में नाममात्र की होती है। जिले के विभिन्न बाजारों में हजारों लोगों ने अपने-अपने मकान को किराए पर उठा रखा है।
किरायेदारों के बारे में मकान मालिकों द्वारा कोई भी सत्यापन नहीं कराया जा रहा है। स्थानीय पुलिस के पास भी इसकी कोई जानकारी नहीं होती कि समूचे जनपद के कितने मकान में कितने किराएदार रह रहे हैं। मकान के कमरों को किराए पर नहीं उठाया जा सकता। किराएदार रखने से पहले मकान मालिक को किरायेदारों के बारे में पूरी जानकारी लिखित रूप से लेनी होती है। इसमें किराए पर रहने आए लोगों से उनके परिचय पत्र, किसी भी व्यक्ति की लिखित गारंटी और शपथ पत्र भी शामिल होता है। बाद में मकान मालिक को किरायेदारों की पूरी जानकारी मोबाइल नंबर के साथ संबंधित थाना व चौकी प्रभारी को देनी होती है।
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