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किसान आन्दोलन – सिंघु बॉर्डर पहुचे सिसोदिया संग केजरीवाल, बोले राकेश टिकैत – कानून वापस नही तो घर वापस नही

आफताब फारुकी

नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार में रार बरकरार है। किसान आंदोलन का आज रविवार को 32वां दिन है। सरकार के बातचीत के प्रस्ताव पर किसानों ने सहमति जताई है। किसान नेताओं की ओर से बैठक के लिए 29 दिसंबर का दिन तय किया गया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर हैं।

नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को 29 दिसंबर को 11 बजे बातचीत का प्रस्ताव भेजा है। इस बार नए कानूनों की वापसी की प्रक्रिया, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया, पराली और बिजली 2020 अधिनियम में राहत पर चर्चा करने का एजेंडा बनाया गया है। इस बीच बीते एक महीने से दिल्ली की तमाम सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं।

इस दरमियान आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विरोध कर रहे किसानों का एक कविता के माध्यम से हौसला बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने ट्वीट किया कि “वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो, वॉटर गन की बौछार हो, या गीदड़ भभकी हजार हो, तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं, वीर तुम बढ़े चलो, अन्नदाता तुम बढ़े चलो!”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया रविवार शाम को सिंघु बॉर्डर पहुंचे। दोनों ने गुरु तेग बहादुर स्मारक का दौरा किया। केजरीवाल ने कहा कि हमारे किसान पिछले 32 दिनों से ठंड में सड़कों पर सोने को क्यों मजबूर हैं। मुझे दुख है कि यहां 40 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मैं केंद्र से उनकी बात सुनने और तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपील करता हूं। वही भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि अगर कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो आंदोलनकारी किसान भी घर वापस नहीं जाएंगे।

बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम मैदान में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने खाली जगहों को फसलें उगाने के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। एक किसान ने बताया कि चूंकि प्रदर्शन के कारण हम बीते एक महीने से खाली बैठे हैं, इसलिए हमने सोचा कि इन जगहों पर प्याज उगाएं। इन्हें हम अपने प्रतिदिन के भोजन बनाने में उपयोग कर सकते हैं। बुराड़ी मैदान में हम और भी फसलें उगाएंगे।

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