राहत इन्दौरी से माज़रत के साथ तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – हमारी कलम से जो निकले वही सदाकत है, पत्रकार है तुम्हारे हाथो की कठपुतली थोड़ी है

तारिक़ आज़मी

आज कल मीडिया को गाली देना एक फैशन हो गया है। जिसको देखो वही मीडिया को काम करना सिखाता रहता है। ऐसा लगता है जैसे व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ये प्रोफ़ेसर खुद बहुत बड़े पत्रकारिता के ज्ञाता है और जो पत्रकार काम कर रहे है वह रायपुर ख़ास की गाड़ी में सवारी कर रहे है। ऐसा ज्ञान व्हाट्सएप पर आज कल पत्रकारों के लिए चल रहा है जैसे वो शताब्दी में बैठे हो और पत्रकार फाफामऊ पैसेंजर में बिना टिकट यात्रा कर रहे हो। जहा देखो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अपना ज्ञान बघार रहे है। खबर अगर आलोचनाओं की हो रही हो तो ये व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज्ञानी सबसे पहले लिखा लिखाया अपना ज्ञान ठेल देते है।

कोरोना की दूसरी स्ट्रेन जितनी खतरनाक है, उससे अधिक खतरनाक आजकल व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर हो गए है। कोरोना के दुसरे स्ट्रेन ने व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर कई डाक्टर से लेकर वैध बना डाले है। जिसको देखो कोई न कोई ज्ञान चेप दे रहा है। कभी कोई कहता है आधा चम्मच हल्दी लो, एक चम्मच अदरक, एक चम्मच लहसन………….! अरे यार दवा बना रहे हो कि चिकेन अंगारा की रेसिपी बता रहे हो। कभी कोई कहता है कि फिटकरी को, उसको पानी में घुमाओ और पानी पी जाओ………! गुरु कहा थे अभी तक, आपके चरण कहा है फिटकरी का पानी पी जाए और उसका असर ये होगा कि कोरोना भाग जायेगा तो आप इतने वक्त कहा थे। आपको तो WHO का चीफ होना चाहिए।

Tariq Azmi
Chief Editor
PNN24 News

एक ने तो हद खत्म कर डाली थी। चिकेन तंदूरी बनाने की रेसिपी की तरह कई मसाले बताये ऐसे जैसे लग रहा था कि कोरोना वायरस का तंदूरी बना डालेगा भाई अपना। उसपर से सबसे बड़ा दावा ये कि किसी छोटे से गाव का बड़ा सा आयुर्वेदिक साइंटिस्ट इस शोध को किया है और वह WHO ने पास करके कहा है कि इससे कोरोना खत्म हो जायेगा। हे ज्ञानी प्रभु…….! बेशक आयुर्वेद में काफी जड़ी बूटी काफी प्रभावशाली है। मगर किसी क्वलिफ़ाईड वैध से सलाह ले लो गुरु। अगर हर कोई व्हाट्सएप पर पोस्ट वायरल करके ऐसे वैध बन बैठा तो असली वैध देश में भूखे मर जायेगे।

अभी तक व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में लिखा चल रहा था। आजकल नया ट्रेंड चल रहा है। कोई डाक्टर अथवा कोई आम नागरिक बातचीत करता है और खुद को डाक्टर कहने वाला दावा करता है कि सैकड़ो मरीज़ ठीक कर डाले इस तरीके से। आप सबको बताओ और वौइस् रिकार्ड करके सबको भेजो। ऐसे ऐसे मसाले लो और ऐसे ऐसे खा जाओ। कोरोना दो दिन में भाग जायेगा। समझ नही आता कि ये सलाह देने वाले डाक्टर जब इतने अधिक जानकार है और सैकड़ो मरीजों को ठीक कर चुके है तो खुद के पेट पर लत्ती क्यों मार रहे हो भाई ? इलाज करे दो दिन में ठीक कर डाले। खूब दौलत और शोहरत कमा लेंगे।

आप अभी तक कई बार मुस्कुरा चुके होंगे। देखिये कटाक्ष पर सिर्फ मुस्कुराने से काम नहीं चलेगा। मैं साफ बता देता हु कि मुझको चीनी नहीं आती है और एक बड़े चीनी साईंटिस्ट ने चीनी भाषा में कहा था कि कटाक्ष पर जोरजोर से तीन बार अगर नही हँसे तो फिर आप कटाक्ष पढ़ नही रहे है। ये बात चीनी डाक्टर चुन भुन चुन ने चीनी में चू चकाऊ पाऊ, आऊ माऊ चाऊ करके मुझसे कही थी। मैं उनकी भाषा नही समझ पाया था मगर उनकी भावनाओं को समझ गया था। वैसे भी भावनाओ को समझना चाहिए शब्दों में क्या रखा है। भावना बढ़िया है समझ लो जो समझना है।

वैसे मैं भी आपकी भावनाओं को समझ रहा हु कि आप सोच रहे होंगे कि “गुरु ई मोरबतियाँ करे वाला पगला गया है का, कईसी कईसी बात कर रहा है।” क्यों भाई जब व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर ज्ञान का समुन्द्र बहता रहता है तो आप उनकी बात पर ऐसा नही सोचते हो तो मेरे बात पर क्यों ? ओह ये बात है कि आप समझदारो वाली बात मोरबतिया में सुनना और पढना चाहते है। तो ठीक है चलिए समझाता हु।

आज कल एक पोस्ट चल रही है। जिसमे कोरोना को लेकर कहा जा रहा है कि आप पोसिटिव थिंकर बने। निगेटिव न्यूज़ न देखे और न पढ़े। क्योकि आपको इससे डर पैदा होगा। आप तो ये पढ़े और यही लिखे कि इतने लोग ठीक हो गये। इतने लोग कोरोना से जंग जीत गए। ये न पढ़े नए कितने मिले। कितने मरे। आप ये न देखे कि शमशान पर लाइन लगी है। बल्कि ये देखे कि आप स्वस्थ है। अगदम-बगड़म लिख कर वायरल हो रहा है। अब बात ये नही समझ आती है कि क्या अब व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी बताएगी कि क्या लिखा जाए क्या नही ? पज़िविटी की बात करते है आप. आप कर सकते है पॉजिटिविटी की बात मगर जरा उनसे जाकर करे जिनके घरों में मौतें हो रही है, उनसे पॉजिटिविटी पूछो जिस माँ के सामने बेटा ऑक्सिजन के लिए तड़पकर मर गया, उससे पूछो गले में सिलिंडर लटकाए लोग गेट पर पड़े हैं, उनसे पूछो कि पॉजिटिविटी क्या होती है. जो आज नेगेटिविटी का हवाला देकर यहां पॉजिटिविटी फैलाने का प्रवचन दे रहे हैं ?

राहत इन्दौरी साहब से माज़रत के साथ कहना चाहूँगा कि “हमारी कलम से जो निकले वही सदाकत है, पत्रकार है तुम्हारे हाथ की कठपुतली थोड़ी है।” शोर्ट शोर्ट कट में बताऊ की व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी आपको शुतुरमुर्ग बनाना चाहती है। शुतुरमुर्ग जानते है न आप। एक बड़ी सी मुर्गे नुमा जानवर. शिकारियों की पहली पसंद होता है। शायद यह जानवर दुनिया का एकलौता जानवर होता है जिसके लिए शिकारी को न तीर की ज़रूरत होती है और न तलवार की। बस वो शुतुरमुर्ग को दौडाना शुरू कर देता है। काफी दौड़ने के बाद शुतुरमुर्ग जब काफी थक जाता है तो रेत में अपनी मुंडी घुसा लेता है। वो सोचता है कि जैसे हम समस्या को नही देख रहे है वैसे ही समस्या हमको नही देख रही है। मगर ऐसा होता नही है। शिकारी शुतुरमुर्ग को पकड़ लेता है।

इस समय व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी भी आपसे यही आशा कर रही है। आप सिर्फ हकीकत का आईना देखने वाला समाचार देखना बंद कर दे। क्यों भाई….? क्यों बंद कर दे ? क्या सिर्फ तारीफ ही पसंद करोगे। आप आज कह रहे हो कि ये न देखो वो न दिखाओ। मगर एक बात बताओ कि अगर पत्रकार सही खबर दिखाए तो वह गलत कर रहा है। निगेटिविटी फैला रहा है। और अगर वही खबरों को दबाए तो आप ही कहते हो कि मीडिया बिक गया है। अमा कोई कल तो चैन ले लेने दो। हमारा काम हमको मालूम है। आप लोग अपना काम करो सिर्फ। सब अपना अपना काम करे सिर्फ। दुसरे को उसका काम न समझाए। यार पत्रकार को पत्रकार रहने दो भाई हाथो की कठपुतली न बनाओ।

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