वाराणसी – बेसहारे का सहारा बने पानदरीबा चौकी इंचार्ज मिथिलेश यादव

ए जावेद

वाराणसी। एक कहावत है “जिसका कोई नही उसका खुदा” होता है। वो देता बड़ा बेशुमार है। कब किस रूप में आकर वह किसकी मदद कर डाले कोई इसका अनुमान नही लगा सकता है। वाराणसी के पड़ाव निवासी शरीफ मिया (परिवर्तित नाम) के लिए मदद को रब ने ऐसे ही एक पुलिस वाले को फ़रिश्ता बना कर भेजा।

हुआ कुछ इस तरह कि पड़ाव निवासी नसरीन के पति शरीफ मिया (दोनों नाम परिवर्तित) काफी समय से बीमार चल रहे थे। डाक्टर ने उन्हें अल्ट्रासाउंड और इंडोस्कोपी की जांच लिख रखा था। कई प्रकार की खून की जांच भी चिकित्सक ने लिख रखा था। घर के एकलौते कमासुत सदस्य शरीफ मियाँ खुद बिस्तर पर थे। रोज़ कुआ खोदना और रोज़ पानी पीना की दिनचर्या वाले शरीफ मियाँ की पूरी ज़िन्दगी के कमाई चंद हज़ार रुपया इस बिमारी में खर्च हो चूका था। घर में राशन तक खत्म हो चूका था। दवाओं के लाले पड़ चुके थे और बिमारी में जाँच भी दस हज़ार से ऊपर की थी।

आखिर नसरीन बी ने अपने खुद के शादी में मिले जेवर को बेचने का फैसला कर डाला। जेवर भी क्या, एक नाक की कील, एक कान का बूंदा, एक पायल पुरानी ही कुल जमा पूंजी थी। इनको बेच कर वह अपने शौहर का इलाज करवाने और दो मासूम बच्चो के लिए राशन का इंतज़ाम करवाने के नियत से निकल कर नई सड़क स्थित एक सोनार के यहाँ आई। मगर सोनार ने भी जेवरो की रसीद मांग लिया। नसरीन के पास रसीद अब तक कहा रहती। वह यह सोच ही रही थी कि रैंडम चेकिंग करते हुवे पानदरीबा चौकी इंचार्ज उस दूकान पर आ गए। चेकिंग के दौरान परेशान महिला के बारे में उन्होंने पहले दुकानदार से पूछा तो दुकानदार ने बताया कि महिला कुछ पुराने जेवर बेचने आई है मगर उसके पास इसकी रसीद वगैरह नही है।

यह जानकार संदेह के आधार पर पानदरीबा चौकी इंचार्ज मिथिलेश यादव ने महिला से इस सम्बन्ध में बात किया। सवाल सुनते ही नसरीन के सब्र का बाँध टूट गया और वह फुट फुट कर रो पड़ी। रोते हुवे उसने सभी हालात को ब्यान किया और पूरी बात बताया। चौकी इंचार्ज पानदरीबा मिथिलेश यादव ने महिला का दर्द सुनकर उसको मदद का दिलासा दिया तो वह हाथ जोड़ कर बोली “सर भीख नही मांग रही हु।” गरीबी और खुद्दारी का मिश्रण देख कर मिथिलेश यादव ने कहा “आप हमारी बहन हो। ये जेवर आप बेचना चाहती हो। ठीक है। ये ज़ेवर की कुल कीमत 15 हज़ार रुपया है। आप इसकी कीमत ले। और अपने भाई के तरफ से ये जेवर बतौर तोहफा रखे आप।” नसरीन कुछ सोच रही थी तभी मिथिलेश यादव ने कहा, “क्या मैं अपनी बहन को तोहफा नही दे सकता हु।”

नसरीन के आँखों में आंसू रुकने का नाम नही ले रहे थे। एसआई मिथिलेश यादव ने नसरीन को राशन, समस्त जांच की व्यवस्था और जाते समय मुठ्ठी बंद कर कुछ रूपये जो शायद 4-5 हज़ार थे देकर उसके बच्चो के लिए चाकलेट और टाफी दिया। नसरीन के पति को जाँच हेतु सभी व्यवस्था हो चुकी है। कल सुबह शरीफ मियाँ की सभी ब्लड जाँच, अल्ट्रासाउंड और इंडोस्कोपी हो जाएगी जिसका पूरा खर्च एसआई मिथिलेश यादव ने उठाया है। नसरीन के जाते वक्त आँखों में आंसू बहुत कुछ बयान कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शी एक सम्मानित वरिष्ठ नागरिक ने ये सब कुछ अपनी आँखों से देखा। हमसे बात करते हुवे उन्होंने कहा “लोग कहते है न कि रब किसी भी रूप में मदद भेज देता है। देखो उस रब ने पुलिस वाले के वर्दी में फ़रिश्ता भेजा है। जिसने इस महिला की मदद किया है।”

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *