एक सप्ताह में जर्जर भवनों को गिराने का हुआ जिलाधिकारी का आदेश, क्या चौक थाना क्षेत्र के दालमंडी में स्थित इस जर्जर भवन पर भी हो पायेगी ध्वस्तीकरण की कार्यवाही ?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी में आज सुबह काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर में जर्जर मकान गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई। इस घटना ने शहर को दहशत में ला दिया। ख़ास तौर पर वाराणसी के पक्के मोहाल के जर्जर मकानों की चिंता शहर को सताने लगी है। जिसके बाद वाराणसी प्रशासन हरकत में आ गया और जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने सभी चिन्हित जर्जर भवनों को एक हफ्ते के अंदर धवस्त करने का आदेश जारी कर दिया।

आज डीएम ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि शहर में काफी संख्या में जर्जर भवनों का सर्वे नगर निगम द्वारा कराया गया है। उक्त जर्जर भवनों के भवन स्वामियों को ध्वस्तीकरण कराने हेतु पूर्व में नोटिस जारी किया गया है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं है। वर्तमान में मौसम के दृष्टिगत ऐसे मकानों  में रहने वाले सदस्य एवं आस-पास के घर सुरक्षित नहीं हैं। ऐसी दशा में यह आवश्यक है कि संबंधित भवन स्वामियों द्वारा अपने-अपने जर्जर भवन के ध्वस्तीकरण का कार्य स्वयं के खर्च पर एक सप्ताह में पूर्ण कराया जाए। साथ ही आदेश हुआ है कि यदि भवन स्वामी तय समय में ऐसा नहीं करते हैं तो नगर निगम द्वारा इस कार्य को कराया जाए। साथ ही खर्च की वसूली संबंधित भवन स्वामी से कराया जाए। इसके साथ ही अभी तक जिन जर्जर भवनों को नोटिस नहीं दिया गया है उन्हें दो दिन के अंदर नोटिस निर्गत करते हुए ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पूर्ण कराई जाए। इस क्रम में डीएम ने निर्देशित किया है कि जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही एक सप्ताह में पूर्ण कराना सुनिश्चित करायें। इसके साथ ही डीएम ने ये रिपोर्ट मांगी है कि जोनवार ऐसे कितने भवनों को तकनीकी नोटिस दिया जा चुका है और कितना लंबित है।

इन सबके बीच आज दालमंडी में चर्चा का विषय एक जर्जर इमारत बनी हुई है। दालमंडी के कुण्डीगरटोला स्थित भवन संख्या CK.39/5, वाराणसी के व्यावसायिक स्थल की सकरी गली में स्थित है। इस भवन के स्वामी का नाम शाहनवाज़ खान “शानू” है। भवन स्वामी के पास न तो रहने की कमी है और न ही किसी अन्य चीज़ की कमी है। परन्तु इस जर्जर मकान में किरायदार के कारण भवन विवादों के मध्य ऐसा फंसा है कि कई लोगो की जान खतरे में है। क्षेत्र के पार्षद से लेकर स्थानीय निवासियों और पुलिस ने भी इस जर्जर मकान के ध्वस्तीकरण हेतु शिकायती पत्र कई वर्षो से दिया हुआ है। परन्तु किरायदार के समर्थको के तौर पर उभरे क्षेत्र के ही एक बहुचर्चित कथित समाजसेवक और एक ठेकेदार के द्वारा मामले को नगर निगम में ठन्डे बस्ते में डलवा दिया गया है।

भवन की स्थिति के सम्बन्ध में क्षेत्रीय नागरिको की चर्चा के अनुसार किसी भी समय यह जर्जर भवन गिर सकता है। इसके कारण कोई भी अप्रिय घटना दुर्घटना हो सकती है। क्षेत्रीय नागरिको में इसका भय है कि अगर कही कोई घटना दुर्घटना दोपहर मार्किट के समय हुई तो बड़ी जनहानि हो सकती है। आसपास के कई अन्य मकानों को भी ये भवन क्षतिग्रस्त कर सकता है। मगर दूसरी तरफ सभी रिपोर्ट्स को दबा कर बैठा नगर निगम इस मामले में संज्ञान होते हुवे भी कोई कार्यवाही नही कर रहा है।

वही भवन स्वामी शाहनवाज़ खान “शानू” का कहना है कि मैं इस भवन के लिए अपने सभी प्रयास कर चूका हु और आज भी कर रहा हु। भवन के अन्दर बैठे किरायदार को क्षेत्र के बाहुबली का समर्थन हो जाने के बाद किरायदार हर एक फाइल को अपने निजी हित में दबवा दे रहा है। जर्जर हो चुका यह भवन कभी भी गिर सकता है जिसके कारण इलाके में भारी जान माल की क्षति हो सकती है। मैं कई बार सम्बन्धित विभाग को लिख चूका हु अब विभाग इस पर कोई कार्यवाही नही करता है तो यह विभाग की अपनी लापरवाही है। मुझको पता है कि किसी घटना दुर्घटना में मुश्किल मेरे लिए खडी रहेगी। मगर मैं भी क्या कर सकता हु ? किरायदार के एक समर्थक बिल्डर द्वारा नगर निगम में ये फाइल बार बार दबवा दिया जाता है।

इस सम्बन्ध में जब हमने किरायदार से बात करने का प्रयास किया तो उनका जवाब बड़ा तो टुक का था। उन्होंने बात करने से मना करते हुवे कहा कि मैं हर एक स्थिति से निपटने को तैयार हु, आपको जो लिखना है लिख सकते है। हम नगर निगम में जाकर बात कर लेंगे। हमको मीडिया से कोई भी बात किसी तरीके की नहीं करना है। हाँ भवन जर्जर है। मगर इस भवन का ध्वस्तीकरण ऐसे नही होने दूंगा। आप जो लिखा चाहते है जाकर लिख सकते है।

वही क्षेत्र के एक सम्भ्रांत नागरिक ने नाम न ज़ाहिर करने के शर्त पर बात करते हुवे कहा कि भवन की जर्जर स्थिति हमको हर एक बारिश में चैन से सोने नहीं देती है। इस मकान के गिर जाने पर काफी जान माल का नुक्सान होगा साथ ही यहाँ राहत और बचाव कार्य करना भी बहुत मुश्किल होगा। मकान मालिक भवन के स्थिति को लेकर चिंतित है कई बार बात भी हुई है। मगर किरायदार के साथ कई बाहुबली और एक बिल्डर का हाथ होने के कारण कोई कार्यवाही इस मकान पर नही करने देता है। बताया कि किरायदार के साथ जो लोग है वो इतने दबंग है कि इस मकान से सटे एक अन्य मकान को बनने केवल इस लिए नहीं दे रहे है कि अगर वो मकान बन गया तो किरायदार जिस हिस्से में है उसकी सीढ़ी पतली हो जाएगी। इसको सीधे सीधे आप गुंडई समझ सकते है।

बहरहाल, जिलाधिकारी के आदेश आने के बाद चिन्हित मकानों की लिस्ट नगर निगम ने बनानी शुरू कर दिया है। मगर एक बार फिर वही शंका का विषय है कि कही ऐसे मकान इस कार्यवाही में छुट न जाए जिनके ऊपर दबंगो का हाथ है अथवा दबंग के संरक्षण में मकान कब्ज़ा है। वैसे दालमंडी के इस मकान पर अगर कोई घटना दुर्घटना हुई तो सकरी गली के कारण काफी बड़ी जान माल की हानि के आशंका से कोई इनकार नही कर सकता है। नगर निगम ईमानदारी से निष्पक्ष कार्यवाही करेगा या नही ये एक सप्ताह के जिलाधिकारी द्वारा दिले आदेश के पालन में साबित हो जाएगी।

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