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ट्राफिक जाम फ़ूड कोर्ट : पापी पेट के खातिर पेट भरने का कारोबार, स्वाद के साथ वाजिब दाम

शाहीन बनारसी

वाराणसी। कल हमारा गुज़र रविन्द्रपुरी के तरफ से हुआ। रास्ता चलते आसपास देखते हुवे चलना फितरत में जैसा शुमार हो चूका है। हमारी नज़र चौराहे के पास एक खाली जगह पर खडी एक वैन पर पड़ी। नाम पढ़कर हमारे कदम थोडा रुक गए। आपने काफी नाम बड़े बड़े बैनरों के सुने होंगे। मगर थोडा अलग हटकर ये नाम था। फ़ूड कोर्ट जैसी बनी वैन का नाम “ट्राफिक जाम फ़ूड कोर्ट था।” एक महिला और एक पुरुष द्वारा इस दूकान का सञ्चालन करते देख कर हमारे कदम बरबस ही उस ट्राफिक जाम के पास पहुच गए। बड़ी ही साफ़ सफाई के साथ बने इस फ़ूड कोर्ट को देखकर खुद-ब-खुद भूख लग गई। हमने एक चीज़ मैगी का आर्डर कर दिया और पुरे वैन को घूम घूम कर देखना शुरू कर दिया।

उस वैन को हमने चारो तरफ से घूम कर देखा। वैन के अन्दर वो सारे साज-ओ-सामान हमे मौजूद मिले जो एक रसोई में होती है। वैन में ढेर सारे रैक बने हुए थे। जिस पर सारी जरुरतो के सामान बड़ी ही अच्छे और साफ़-सुथरे तरीके से रखे हुए थे। वैन में जो पुरुष यानी उस वैन के मालिक का नाम उत्तम दास है। जो अपनी पत्नी के साथ फ़ूड कोर्ट चलाते है। दोनों पति-पत्नी के विवाह को 12 साल सम्पन्न हो चुके थे। उत्तम दास की पत्नी घर के काम करने के बाद रोड साइड पर चल रहे अपने पति के फ़ूड कोर्ट में उनका हाथ बंटाते हुए उनकी काफी मदद करती है। वो लोग एक सभ्य परिवार के और पड़े लिखे लग रहे थे। पड़े लिखे होने के बावजूद रोड साइड पर उनके फ़ूड कोर्ट चलाने कि वजह जानने को दिल किया।

जब हमने उनसे बात कि तो बात-चित के दौरान पता चला कि उत्तम दास की बी0 एच0 यू0 आईआईटी में कैन्टीन थी। मगर कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि पिछले दो सालो से कैन्टीन बंद है। पाई पाई जोड़ कर के की हुई कुछ बचत जो रखी हुई थी। वह भी लॉकडाउन में खर्च हो गयी थी। भूखे रहने की नौबत आ जाने पर उनकी पत्नी द्वारा बचत किये हुए कुछ पैसे काम आये। उन पैसो के द्वारा उत्तम दास ने एक पुराना वैन खरीदा। और उसे अपने तरीके से बनाया और रोड साइड पर “ट्राफिक जाम फ़ूड कोर्ट” के नाम से खोल लिया।

उत्तम दास की आईआईटी कैन्टीन में उन्होंने 20 सदस्यों को कार्यत रखा था। मगर इस लॉकडाउन के हालातो के आगे मजबूर हुए उत्तम दास  आज अपनी पत्नी के साथ रोड साइड पर फ़ूड कोर्ट चला रहे है। उत्तम दास के दुकान पर कोई भी कस्टमर आता है तो वह भले जिस भी तरीके से बात करता है मगर वो अपने चेहरे पर हलकी सी मुस्कान लिए हुए सभी लोगो से “जी सर, जी सर” करके ही बात करते है। उनसे बात करके ये अहसास हुआ कि हम किसी काबिल और तहजीब दार इंसान से बात कर रहे है। सारे कस्टमर से अपने खाने के सामान से सम्बंधित जायके का अनुभव वह जरुर पूछ रहे थे।

मै खड़ी यही सब देख रही थी कि उतने में हमारी मेग्गी तैयार हो चुकी थी। उत्तम दास की पत्नी ने मुझे मैगी थमाते हुए बड़े ही प्यारे लफ्ज़ो का इस्तमाल करते हुए मुझ से कहा “लीजिये मैम आपकी मेग्गी तैयार हो गयी।”  मैंने पहला कौर जब मुह में डाला तो इसका स्वाद किसी महंगे रेस्तरां से कम नहीं था। कह सकते है कि ट्रैफिक जाम फ़ूड कोर्ट सिर्फ पेट ही नहीं भर रह बल्कि स्वाद में भी बेस्ट है।

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