तारिक़ आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के काशी विद्यापीठ विकास खंड के लोहता क्षेत्र स्थित ग्राम सभा धन्नीपुर के निवासियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर स्थानीय ग्राम प्रधान फ़कीर अली पर लगभग 40 लाख के विकास योजना हेतु आये सरकारी धन के गबन का बड़ा आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्थानीय निवासियों ने ग्राम प्रधान धन्नीपुर फ़कीर अली पर विकास कार्यो में गड़बड़ी और सरकारी योजनाओं में घोटाले का आरोप लगाया है।
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि आवास योजनाओं और शौचालय निर्माण जमकर अवैध वसूली के द्वारा केवल एक ही वर्ग विशेष के इलाके में करवाया गया है। आरोप है कि इसके अतिरिक्त भूमिगत नाली निर्माण और गिट्टी भराई में भी जमकर लूट घसोट किया गया है। कोई भी विकास कार्य मानको के अनुसार हुआ ही नही है। अगस्त माह में लिखे गए इस शिकायती पत्र की जांच का आदेश हुआ है। मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी जाँच शुरू ही नही हुई है। वही क्षेत्र में इस मामले को लेकर तरह तरह की चर्चा व्याप्त है। शिकायती पत्र के मुख्य शिकायतकर्ता में वीरेंदर नाम लिखा हुआ है।
क्या कहते है फ़कीर अली प्रधान
इस सम्बन्ध में जब हमारी बात ग्राम सभा के प्रधान फ़कीर अली से फोन पर हुई तो उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुवे कहा है कि जाँच अधिकारी आकर पहले शिकायतकर्ताओं से उनका शपथपत्र ले, इसके बाद जाँच करे और कोई भी शिकायत सही नही पाई जाने पर शिकायतकर्ताओं पर कड़ी कार्यवाही करे। फ़कीर अली प्रधान ने कहा कि आरोप केवल राजनैतिक शत्रुता के कारण किया गया है। उन्होंने विस्तार से बताते हुवे शिकायतकर्ता पर आरोप लगाते हुवे कहा कि शिकायतकर्ता के पिता क्षेत्र के कोटेदार है। उनके पास राशनकार्ड बनकर आया था और वह राशन कार्ड जनता को न देकर उसका लाभ खुद देना चाहते थे। जिसका मैंने विरोध किया, मगर इसके बाद भी कोटेदार नहीं बदला और उसने ये कुकृत्य जारी रखा जिसके बाद क्षेत्र में सर्वे करने आये अधिकारियो को हकीकत से रूबरू करवा दिया गया। इसके बाद से ही कोटेदार मेरे ऊपर अपने बेटे के माध्यम से गलत आरोप लगा रहे है।
कैसे हो सही गलत का फैसला, सवाल अधुरा है
कोटेदार के ऊपर ग्राम प्रधान का आरोप है, जबकि ग्राम प्रधान पर बड़े घोटाले का कोटेदार पुत्र सहित क्षेत्र के कुछ जनता का भी आरोप है। अगर कोटेदार के ऊपर लगे आरोपों को आधार मानते है तो जब फ़कीर अली प्रधान को इस बात की जानकारी थी तो उन्हें अधिकारियो को इससे अवगत करवा कर कोटेदार का लाइसेंस निरस्त करवा कर नए कोटे की प्रक्रिया करवाना चाहिए था। हमने अपने स्तर से ऐसे किसी लिखित शिकायत को तलाशना मगर हमारी पहुच वहा तक नही हो सकी है। वही प्रधान फ़कीर अली शिकायत की बात करते है तो उनकी भी मान लेते है। अब दोनों को एक साथ मिलाकर देखे तो निष्पक्ष जांच दोनों पक्ष की होनी चाहिए। दोषी प्रधान फ़कीर अली हो अथवा कोटेदार हो। कार्यवाही भी होना चाहिए। क्योकि जनता का राशन कार्ड बनने के बाद उसको अपने पास रख कर उसका उपयोग अगर कोटेदार ने किया है तो यह भी सरकारी धन का दुरूपयोग है।
वही फ़कीर अली प्रधान पर लगे आरोपों में कोई सच्चाई थी तो आज दो वर्ष बीतने के बाद अब क्यों इस मामले को उठाया जा रहा है। उसी समय इस मामले में जांच के लिए अधिकारियों को शिकायत करना चाहिए था। अब दो साल बाद मामले को अचानक उभार के रख देना भी नियत में शक पैदा करता है। बहरहाल, जांच में क्या होगा ये तो समय बतायेगा, मगर दोनों आरोप ही गंभीर है भले वो प्रधान पर लगा हो अथवा प्रधान द्वारा कोटेदार पर लगाया गया है।
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