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तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: स्मार्ट सिटी वाराणसी के सुपर स्मार्ट नगर निगम की “सुपर से भी दुई तल्ला ऊपर” स्मार्ट “हिंगलिश” देख हंसो मत बनारस, भावनाओं को समझो और बस ध्यान रखो कि “नो पार्किंग गाडी”

तारिक़ आज़मी

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी अब स्मार्ट सिटी हो गया है। इस स्मार्ट सिटी का सुपर स्मार्ट नगर निगम वाराणसी है। सुपर स्मार्ट नगर निगम है तो उसको इंग्लिश बोलने की आवश्यकता तो पड़ेगी ही। तो इंग्लिश तो सभी बोल लेते है, इसीलिए नगर निगम वाराणसी ने सुपर से भी दो तल्ला ऊपर की “हिंगलिश” भाषा को चुन लिया है। आप गलत न समझे, हम टाइपिंग मिस्टेक नही कर रहे है। हम इंग्लिश नही बल्कि हिंगलिश ही लिख रहे है।

अब आप सोच रहे होंगे कि ये “हिंगलिश” का होती है? तो भैया इंगलिश के पडोस वाले गाँव में रहने वाली को हिंगलिश कहते है। अब हमारी बात समझ गए होंगे। हमे तो कल्लन चा और अपने काका को समझाने में सुबहिये से बुढौती का गई मगर ऊ दुन्नो लोग समझे ही नाही। बड़ी देर बात जब कल्लन च के समझ आवा तब समझे कि “बतिया इज दुन्नो सेम, बस तनी मनी डिफ़रेंस।” मगर काका फिर नाही समझे और कहने लगे कि “अरे चुप बचवा, बतिया है कर्तुतिया नाही, वाली बतिया तोहरे ऊपर भी लागू है।”

बहरहाल, मामला दरअसल ऐसा हुआ कि कल्लन च और हमारे काका सुबह सुबह बेनिया बाग़ टहलने चले गए। उस पर सितम ये कि मुझे भी लगभग ज़बरदस्ती लेकर चले गए। थोडा टहल घूम के बाहर निकले तो दिवार पर एक स्पेशल तरीके से लिखा फरमान उनकी नज़र से टकरा गया। फिर क्या था खा लिए कपार हमारा। लिखा था “नो पार्किंग गाड़ी”। फिर क्या था हमारे काका और कल्लन च को तफरी उड़ाने का मौका मिल गया। दोनों आधी टूट चुकी बत्तीसी निपोरे जुट गए इस निर्देश की धज्जियां उड़ाने में।

तारिक़ आज़मी
प्रधान सम्पादक
PNN24 न्यूज़

अब आप बताओ कैसे इनको समझाऊ कि भाई बनारस अपना अब स्मार्ट सिटी हो गया है। अब स्मार्ट सिटी का नगर निगम तो सुपर स्मार्ट हुआ न। अब जब स्मार्ट का सुपर स्मार्ट कुच्छो लिखवाएगा तो सुपर से भी दो तल्ला ऊपर का रहेगा ही रहेगा। अमूमन आप क्या लिखवाते है? “नो पार्किंग” यही लिखवाते है न। अब बात को पूरी समझाने के लिए नगर निगम ने लिखवा दिया “नो पार्किंग गाडी।” क्या गलत किया? बैलगाडी, हाथ गाडी वगैरह आप पार्किंग कर सकते है ये कहना चाहता होगा नगर निगम। हाँ बस, गाडी की पार्किंग नही करना है। मगर काका और कल्लन च है समझते नही है। बहुते परेशान कर देते है काका और कल्लन च। एक तो सुबहिये उठा दिए। ऊपर से ई झाम। कमाल करते है वैसे लिखवाने वाले भी।

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