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दोपहर 2:30 बजे गिराया जाएगा ट्विन टावर, तैयारियां पूरी, जाने ट्विन टावर से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी

तारिक़ खान/शाहीन बनारसी

डेस्क: नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने का काउंट डाउन शुरू हो गया है। अब से महज कुछ घंटों बाद भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ीं ये दो गगनचुंबी इमारतें जमींदोज हो जाएंगी। नोएडा में सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर को आज ढहा दिया जाएगा। दोपहर 2:30 बजे विस्फोट किया जाएगा, जिससे बिल्डिंग एक झटके ध्वस्त हो जाएगा। विस्फोटकों और संबंधित व्यवस्थाओं का शनिवार को अंतिम निरीक्षण किया गया। परियोजना के अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी। ट्विन टावर का अवैध रूप से निर्माण करने में बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारियों द्वारा नियमों की जितनी अनदेखी की गई, उतनी ही बड़ी लड़ाई बिल्डर के खिलाफ आम नागरिकों को लड़नी पड़ी।

वही अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि विस्फोटक लगाने और उन्हें जोड़ने का सारा काम पहले ही पूरा किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि केवल ट्विन टावरों को आपस में जोड़ने और संरचनाओं से ‘एक्सप्लोडर’ (विस्फोट करने वाले यंत्र) तक 100 मीटर लंबी केबल तार बिछाने का काम बचा है। गौरतलब है कि दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था, जिसके बाद इन्हें ढहाने का काम किया जा रहा है।

न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, नोएडा में ट्विन टावर को ढहाए जाने के मद्देनजर प्रादेशिक आर्म्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) के अलावा पुलिस और यातायात विभाग के लगभग 500 कर्मियों को वहां तैनात किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार सुबह करीब आठ बजे सेक्टर 93ए में एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के आसपास के दो आ‍वासीय सोसाइटी से सभी निवासियों को निकालने का काम पूरा होने के बाद यातायात मार्ग में परिवर्तन किया गया।

ट्विन टावर से जुडी कुछ ख़ास बातें

कहानी 23 नंवबर 2004 से शुरू होती है। जब नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल के 14 टावर बनाने की अनुमति मिली।

जमीन आवंटन के दो साल बाद 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संशोधन कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी ने संशोधन करके सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी। इसके साथ ही टावरों की संख्या भी बढ़ाई गई। पहले 15 और फिर इनकी संख्या 16 हुई। 2009 में इसमें फिर से इजाफा किया गया। 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया। इसके बाद भी ये अनुमति लगातार बढ़ती गई।

एमराल्ड कोर्ट परियोजना में बने ट्विन टावरों को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड है। यह एक गैर-सरकारी कंपनी है। इस कंपनी को सात दिसंबर, 1995 में निगमित किया गया था। सुपरटेक के फाउंडर आरके अरोड़ा हैं। उन्होंने अपनी 34 कंपनियां खड़ी की हैं। 1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने दूसरी कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी शुरू की।

सुपरटेक ने अब तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लांच किए हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसी साल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया। कंपनी पर अभी करीब 400 करोड़ का कर्ज बकाया है। दो मार्च, 2012 को टावर नंबर 16 और 17 के लिए फिर से संशोधन किया गया। इन दोनों टावरों को 40 मंजिल तक करने की अनुमति दी गई। इनकी ऊंचाई 121 मीटर तय कर दी गई। वहीं दोनों टावरों के बीच की दूरी भी नौ मीटर रखी गई, जबकि यह 16 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।

सुपरटेक को 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। परियोजना का 90 फीसदी यानी करीब 12 एकड़ हिस्से पर 2009 में ही निर्माण पूरा कर लिया गया था। 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन जोन दिखाया गया। 2011 आते-आते दो नए टावरों के बनने की खबरें आने लगीं। 12 एकड़ में जितना निर्माण किया गया, उतना एफएआर का खेल खेलकर दो गगनचुंबी इमारतों के जरिये 1.6 एकड़ में ही करने का काम तेजी से जारी था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि 12 एकड़ में 900 परिवार रह रहे हैं, इतने ही परिवार 1.6 एकड़ में बसाने की तैयारी थी।

फ्लैट बायर्स ने 2009 में आरडब्ल्यू बनाया। इसी आरडब्ल्यू ने सुपरटेक के खिलाफ कानूनी लड़ाई की शुरुआत की। ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर आरडब्ल्यू ने पहले नोएडा अथॉरिटी मे गुहार लगाई। अथॉरिटी में कोई सुनवाई नहीं होने पर आरडब्ल्यू इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। 2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर तोड़ने का आदेश जारी किया। इस लड़ाई में यूबीएस तेवतिया, एसके शर्मा, रवि बजाज, वशिष्ठ शर्मा, गौरव देवनाथ, आरपी टंडन, अजय गोयल ने अग्रणी भूमिका निभाई।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में सात साल चली लड़ाई के बाद 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर रविवार दोपहर 2:30 बजे जमींदोज हो जाएंगे। 32 मंजिला एपेक्स (100 मीटर) व 29 मंजिला सियान (97 मीटर) टावर में 3500 किलोग्राम विस्फोटक लगाकर तारों से जोड़ दिया गया है। महज 9 से 12 सेकेंड में ये इमारतें जमींदोज हो जाएंगी।

बताते चले कि 200 करोड़ से ज्यादा की लागत में बने ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 20 करोड़ का खर्च आने की बात कही जा रही है। यह रकम भी बिल्डर्स से ही वसूली जाएगी।

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