Religion

जानिए आखिर क्यों जरूरी है शिवजी की पूजा में बेलपत्र, जाने बेलपत्र का महत्व और अर्पित करने की विधि

विद्या भूषण मिश्रा

हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा करने में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। शिवपुराण में बेलपत्र चढ़ाने के बारे में बताया गया है कि बिना बेलपत्र के शिवजी की पूजा-आराधना अधूरी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर एक लोटा जल और बेलपत्र की कुछ पत्तियां चढ़ाने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं और जल्द ही अपने भक्तों की हर एक मनोकामना को पूरा करते हैं। स्कंद पुराण में बेलपत्र के पेड़ की उत्पत्ति के बारे में कथा कि देवी पार्वती ने अपने ललाट से पसीना पौंछा था तब उनके पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं थी।

इस तरह से बेल के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। बेल का पेड़ संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक होता है। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने मात्र से ही संपूर्ण पूजा का फल मिलता है। आइए जानते हैं बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के नियम, महत्व और उसके कुछ उपाय।

शिव पूजा में बेलपत्र क्यों

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था। विष को गले में धारण करने से भगवान शिव के ऊपर इस विष का असर होने लगा था। तब सभी देवी-देवताओं ने शिवजी के ऊपर से इस विष के असर को कम करने के लिए उन्हें बेलपत्र खिलाना शुरू कर दिया था। शिवजी को बेलपत्र खिलाने और जल के असर से उनके शरीर का ताप धीरे-धीरे कम होने लगा था। तभी से लेकर शिवजी को बेलपत्र और जल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई।

बेलपत्र का महत्व

ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के घरों में बेलपत्र का पेड़ होता है वहां पर धन-धा्न्य और सुख समृद्धि की कोई कमी नहीं होती है। शिवजी की पूजा में बेलपत्र को चढ़ाने से सभी तरह की दुख दूर हो जाते हैं और हर एक मनोकामना पूरी होती है। बेलपत्र की तीन पत्तियों वाला हिस्सा शिवलिंग पर चढ़ाने का महत्व होता है। क्योंकि बेलपत्र की तीन पत्तियों में सभी तीर्थों का वास होता है।

बेलपत्र तोड़ने और अर्पित करने के नियम

शास्त्रों में बेलपत्र को तोड़ने और शिवजी को अर्पित करने के बारे में नियम बताए गए हैं। बेलपत्र को कभी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिम, संक्रांति, सोमवार को और नहीं तोड़ना चाहिए। सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए रविवार को ही बेलपत्र तोड़कर घर में रख लें।

जब भी बेलपत्र को शिवजी को अर्पित करें तो चिकनी सतह की तरफ वाली हिस्सा शिवलिंग पर स्पर्श करना चाहिए। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा वाली उंगली से पकड़कर चढ़ाएं। बेलपत्र की तीन पत्तियां ही शिव लिंग पर चढ़ाएं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ये पत्तियां कभी भी कटी या फटी हुई न हों। इसके अलावा जब बेलपत्र अर्पित करें तो उसके साथ शिवलिंग पर जल की धारा भी साथ में होनी चाहिए।

मनोकामना के लिए बेलपत्र के उपाय

ऐसी मान्यता है कि कई बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया जाता है। इसके अलावा अगर कोई जातक विवाह योग्य हो चुका और उसके विवाह में देरी हो रही है तो बेलपत्र के ऊपर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखते हुए शिवलिंग पर चढ़ाया जाय तो जल्द विवाह तय हो जाते हैं।

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