महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने फडणवीस सरकार के दौरान हुई डीजीआईपीआर घोटाले को छिपाने की कोशिश का लगाया आरोप, दोषी अधिकारियो के तत्काल निलंबन की किया मांग

मो0 कुमेल (इनपुट: सायरा शेख)

डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने गुरुवार को सरकार पर डीजीआईपीआर घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया और इस मामले में आरोपियों का समर्थन किये बिना दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में करीब 500 करोड़ रुपये के विज्ञापन होते हैं। फडणवीस सरकार के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

अजीत पवार ने सदन में कहा कि ‘यह गंभीर अनियमितता एवं कदाचार है। अनुमोदन के अभाव में संबंधित विज्ञापन एजेंसी को भुगतान किये जाने वाले 2019-20 के बिलों को वित्त विभाग द्वारा रोक दिया गया है।’ अब समारोह के बाद मुख्यमंत्री की अनुमति से बिलों के भुगतान का आदेश देकर इस घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है, यह एक गंभीर मामला है।

पवार ने कहा कि राज्य के प्रशासनिक विभागों ने सरकारी योजनाओं के विज्ञापन के लिए सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय (डीजीआईपीआर) से मीडिया सामग्री तैयार करने की प्रक्रिया तय कर दी है। तदनुसार, योजना के लिए मुख्यमंत्री की स्वीकृति अनिवार्य है। इस कथित घोटाले के सम्बन्ध में आरोप है कि फडणवीस सरकार के दौरान एक भी विभाग ने 2019-20 के मीडिया प्लान के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी नहीं ली। विभागों ने बिना मुख्यमंत्री की स्वीकृति लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापन दिए। वर्ष 2019 में विधानसभा के आम चुनाव हुए। उस दौरान विभिन्न सरकारी विभागों ने तत्कालीन फडणवीस सरकार द्वारा 05 साल में लिए गए फैसलों और किए गए कामों का खूब प्रचार-प्रसार किया।

इस घोटाले के सामने आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, “कार्रवाई सक्षम अधिकारी की मंजूरी के बिना की गई है।’ मुख्य सचिव को अपने स्तर पर मामले की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए। मुख्य सचिव ने इस बारे में पूछा। सामाजिक न्याय विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव व संयुक्त सचिव, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन महानिदेशक व पूर्व निदेशक समेत आठ उच्च पदस्थ अधिकारियों को जांच के आदेश दिए गए थे।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में 500 करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापन में ‘मुख्यमंत्री को सूचित कर दिया गया है। वर्तमान में मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, सामाजिक न्याय विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव पर गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।स्वीकृति नहीं मिलने के कारण संबंधित विज्ञापन एजेंसी को भुगतान किए जाने वाले 2019-20 के बिलों को वित्त विभाग ने रोक रखा है। उन्होंने कहा कि अब वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक अलग आदेश दिया है और इस घोटाले पर पर्दा डाल रहे हैं।

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