जेएनयु में धरना देने पर जुर्माने वाला नया नियम कुलपति ने लिया वापस
तारिक खान
डेस्क: जेएनयु में धरना देने पर आर्थिक दंड के नियमो को आलोचनाओं के दायरे में आने के बाद कल देर रात कुलपति शांतिश्री पंडित ने वापस ले लिया। नियमो को वापस लेते हुवे उन्होंने बताया है कि यह नियम उनकी जानकारी में नहीं था और अखबारों के माध्यम से जानकारी होने पर नियम वापस लेने के निर्देश दे दिए गए है। चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने बृहस्पतिवार रात में इस सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर कहा कि जेएनयू छात्रों के अनुशासन और नियम से संबंधित दस्तावेज को प्रशासनिक कारणों से वापस लिया जाता है।
नए नियम वापस लिए जाने के बाद जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी। पंडित ने से कहा, ‘मुझे इस तरह के सर्कुलर की जानकारी नहीं थी। मैं एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से हुबली में हूं। मुख्य प्रॉक्टर ने दस्तावेज जारी करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली। मुझे नहीं पता था कि इस तरह का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है। मुझे अखबारों से इसके बारे में पता चला। इसलिए, मैंने इसे वापस ले लिया है।’
बताते चले कि इन नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं। जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम’ 10 पेज के थे, जिनमें ‘कदाचार और अनुशासनहीनता’ के रूप में वर्गीकृत विभिन्न गतिविधियां के लिए दंड का विवरण था।
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, नियम 3 फरवरी से लागू किए गए प्रतीत होते हैं। यह समयरेखा उस अवधि से मेल खाती है जब परिसर में विरोधस्वरूप 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की कथित संलिप्तता वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई थी। तब प्रशासन ने कथित तौर पर बिजली काटने सहित विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए विभिन्न तरीके आजमाने की कोशिश की थी।
बहरहाल, नए नियमो को वापस लेने का मामला अब सामने आने के बाद जेएनयु छात्रो में ख़ुशी की लहर दिखाई दे रही है। इसके पहले छात्र परिषद द्वारा नए नियमो को कथित रूप से मंजूरी मिलने की भी बात कही गई थी। इस सम्बन्ध में खबरिया वेब साईट इंडियन एक्सप्रेस ने प्रमुखता से रिपोर्ट प्रकाशित किया है।