जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा प्रदर्शनकारी छात्रो के निलंबन पर रोक लगाते हुवे हाई कोर्ट ने कहा ‘अगर कोई आपराधिक गतिविधि में लिप्त है, तो निश्चित रूप से कार्रवाई करें, लेकिन ऐसे थोड़े’

फारुख हुसैन
डेस्क: दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा उन छात्रों के निलंबन आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है, जिन्होंने 2019 में परिसर में हुए सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) विरोधी प्रदर्शनों पर पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ एक कार्यक्रम में विरोध प्रदर्शन किया था। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब मांगा है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, ‘आप विश्वविद्यालय हैं, मैं क्या कहूं। मैं विश्वविद्यालय के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। वे उनके बच्चे हैं… आपको बच्चों को सावधानी से संभालना होगा। अगर कोई आपराधिक गतिविधि में लिप्त है, तो निश्चित रूप से (कार्रवाई करें), लेकिन ऐसे थोड़े ही।’ अदालत ने कहा, ‘किसी भी पक्ष की दलीलों की सत्यता पर विचार किए बिना रिकॉर्ड का अवलोकन करने से ही न्यायालय को इस बात की चिंता हो जाती है कि छात्रों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों को विश्वविद्यालय किस तरह से संभाल रहा है।
अदालत फिलहाल विरोध प्रदर्शनों के कारणों पर विचार नहीं कर रहा है, लेकिन याचिकाकर्ताओं द्वारा दिखाए गए दस्तावेजों से प्रथमदृष्टया पता चलता है कि यह एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था। सभी छात्र कम उम्र के हैं।’ हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के कुलपति को स्थिति से निपटने के लिए अधिकारियों और छात्र प्रतिनिधियों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। बताया गया है कि ये छात्र फरवरी के दूसरे सप्ताह में बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन और बैठकों पर प्रतिबंध लगाने के जामिया के आदेश के खिलाफ धरना दे रहे थे।
प्रदर्शनकारी छात्र उन चार पीएचडी स्कॉलर्स के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द करने की मांग कर रहे थे, जिन्होंने 14 दिसंबर, 2024 को सीएए विरोधी प्रदर्शन की पांचवीं वर्षगांठ मनाने के लिए प्रदर्शन किया था, जिसके दौरान जामिया परिसर में पुलिस और छात्रों के बीच झड़प में कई घायल हो गए थे। इसके बाद 12 फरवरी को विश्वविद्यालय ने विरोध प्रदर्शन कर रहे 17 छात्रों को निलंबित कर दिया और उनके परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।










