इनामियां अपराधियों पर लापरवाह वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस: कमिश्नर साहब हमारे सूत्र की बताई गई न्यूज़ वाकई ब्रेकिंग है, आपकी पुलिस का पूर्व इनामिया अपराधी ‘मनीष सिंह फिर फरार हो गया’, जाने लेटेस्ट अपडेट

तारिक आज़मी
डेस्क: वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल अपने मातहतो को लगातार अपराध और अपराधियों पर अंकुश हेतु निर्देशित किया करते है। वही उनके मातहत है कि चेन स्नेचर और छोटी मोटी लूट के आरोपियों से मुठभेड़ करती है। वही अगर बड़े इनामियां अपराधियों की बात करे तो हकीकत ये है कि उन इनामियां अपराधियों की कुंडली छोड़े साहब बल्कि उनके नाम तक पुलिस भूल चुकी है। यकीन न हो कमिश्नर साहब तो आप खुद एक क्राइम मीटिंग में मोस्ट वांटेड के नाम पूछ कर देख ले।

ऐसी ही वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की एक बड़ी लापरवाही है मनीष सिंह जंसा। पुलिस के फाइल में 2021 तक फरार और इनामियां अपराधी मनीष सिंह को एक नाटकीय तरीके से कई कैमरों की निगरानी में गिरफ़्तारी होती है और वह गिरफ़्तारी वाराणसी पुलिस नही बल्कि अहमदाबाद में स्थानीय पुलिस करती है। इस गिरफ़्तारी की बात जब वाराणसी पुलिस को पता चलती है तो वह सुकून की सांस लेती है। शायद सुकून इतना था कि किसी भी थाने ने यह कोशिश नहीं किया कि उसके मामले में उसकी रिमांड बनवा सके और उसको वाराणसी ला सके। सबसे बड़ी लापरवाही तो कैंट पुलिस की थी क्योकि पहला 50 हज़ार का ईनाम कैंट पुलिस ने घोषित करवाया था और अलग अलग घटनाओं के कारण यह ईनाम राशि बढती रही है।
विभागीय सूत्रों की माने तो मनीष सिंह का नाम वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के इनामिया अपराधियों की लिस्ट से अब बाहर हो चूका है। एक अपराध पर अच्छी जानकारी रखने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने हमसे बातचीत में अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि बिना रिमांड लिए ईनाम खत्म नही होता है और मनीष सिंह जंसा पर ईनाम खत्म कर दिया गया और ये विभाग की बड़ी लापरवाही है। यही नहीं मनीष सिंह के फरार होने के दर्ज अपराध में मनीष सिंह का बयान भी अदालत में विवेचक द्वारा प्रस्तुत न कर सकना भी एक बड़ी लापरवाही का नतीजा है।
वैसे इस मामले में हमारे सूत्र एक बड़ी गुप्त और ब्रेकिंग न्यूज़ प्रदान कर बैठे है, जो शायद वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के पेशानी पर परेशानी का बल ला सकती है। वह खबर ये है कि हमारे अहमदाबाद के एक विभागीय सूत्र बताते है कि मनीष सिंह अहमदाबाद जेल से पेरोल पर छूटा था और इसके बाद वह वापस जेल नही आया और फरार हो गया है। स्थानीय विभागीय सूत्र ने यहाँ तक बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस को इस मामले में जानकारी दिया जा चूका है। मनीष सिंह के सम्बन्ध में अहमदाबाद पुलिस को शक है कि वह वाराणसी अथवा जौनपुर में शरण ले सकता है।
अब इस खबर को आने के बाद ये तो नहीं पता कि वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में कितनी खलबली मचेगी। मगर एक बात तो साफ़ है कि मनीष सिंह जैसे खूंखार अपराधी के सम्बन्ध में वाराणसी पुलिस कमिश्नर के मातहत न सिर्फ ख़ामोशी अख्तियार किये है, बल्कि कई तो ऐसे है जो इस मामले ही नहीं बल्कि इस नाम से पूरी तरह से अनभिज्ञ है। हाथी बाज़ार स्थित प्रॉपर्टी डीलर के दफ्तर पर फायरिंग मामले में विवेचक भले कुडकी की कार्यवाही की बात कर रहे है, मगर उस घटना में मनीष सिंह का कोई हाथ पैर है कि नहीं है इस सम्बन्ध में वह कोई जवाब भी देने को तैयार नही है।
हम एक सीरिज़ के तहत वाराणसी के मोस्टवांटेड अपराधियों जिनके ऊपर आज तक पुलिस पकड़ ढीली है के सम्बन्ध में आपको बतायेगे कि कैसे ऐसे इनामिया अपराधियों के सम्बन्ध में वाराणसी पुलिस की पकड़ अब पूरी तरह से ढीली पड़ी हुई है।











