मोदी की मौजूदगी में दुर्गा बनीं छात्राएं बता रही हैं रोमियो स्‍क्‍वाड की हकीकत

जावेद अंसारी
वाराणसी : वाराणसी प्रशासन की मुश्किल छात्राओं के सड़क पर उतरने की वजह नहीं, बल्कि उसका पीएम रूट पर होना रहा. जिस रोड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देवी दर्शन के लिए मंदिर जाना था – बीएचयू की छात्राएं उसी रास्ते में दुर्गा बन कर डट गयीं.छात्राओं का आरोप है कि उनके साथ कैंपस में आये दिन छेड़खानी हो रही है – और कोई उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहा, लिहाजा उन्हें आजिज होकर ऐसा करना पड़ रहा है.
छात्राओं से छेड़खानी
बड़े शर्म की बात है कि बीएचयू कैंपस में भी छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं. उससे भी ज्यादा शर्म की बात उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया जाना है – और सबसे बड़े शर्म की बात बीएचयू के सुरक्षा अधिकारी का रिस्पॉन्स है. छात्राओं का आरोप है कि 21 सितंबर की रात भारत कला भवन के पास बाइक सवार तीन लड़कों ने ऑर्ट्स फैकल्टी की एक छात्रा के साथ छेड़खानी की. छात्राओं का कहना है कि जिस जगह ये घटना हुई उससे कुछ ही दूरी पर बीएचयू के सुरक्षाकर्मी खड़े थे – और शोर मचाने पर भी सुरक्षाकर्मियों ने कोई मदद नहीं की. पीड़ित लड़की जैसे तैसे भाग कर हॉस्टल पहुंची और वॉर्डन से शिकायत की. फिर यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर को सूचना दी गयी – लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. उल्टे, जैसा कि छात्राओं का आरोप है, उनसे कहा गया, “पीएम का दौरा है. अभी आप सभी लोग शांत रहिए.” स्थानीय मीडिया के अनुसार त्रिवेणी हॉस्टल के सामने हुई छेड़खानी की घटना की जब छात्राओं ने चीफ प्रॉक्टर से शिकायत की तो पहले तो उन्होंने खूब डांट फटकार लगायी, फिर सवाल किया कि छह बजे के बाद वे हॉस्टल से बाहर घूम ही क्यों रही थीं?
 
आरोपों के घेरे में प्रॉक्टोरियल बोर्ड
लंका पर बीएचयू के गेट के पास धरना दे रही छात्राओं ने प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोगों पर जो आरोप लगाये हैं वे तो और भी गंभीर है. प्रॉक्टोरियल बोर्ड ही परिसर में सुरक्षा के इंतजाम देखता है और जगह जगह उसके सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. छात्र-छात्राओं के सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं सुरक्षाकर्मियों पर होती है. छात्राओं की ये शिकायत कि अगर उनके साथ कोई घटना हो तो भी ये चुपचाप देखते रहते हैं या फिर मुहं मोड़ लेते हैं.
छेड़खानी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने मीडिया से जो पीड़ा शेयर की है वो बेहद चौंकाने वाली है. छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल की खिड़कियों पर पत्थर में लेटर आये दिन फेंके जाते हैं. खिड़कियों के सामने खड़े होकर लड़के अश्लील इशारे करते हैं. गुस्से से आग बबूला एक छात्रा का कहना था कि छेड़खानी का विरोध करने पर वे कहते हैं कि कैंपस में दौड़ा कर कपड़े फाड़ देंगे.
ये उस सूबे का हाल है जहां लड़कियों की सुरक्षा और उन्हें छेड़खानी से बचाने के लिए रोमियो स्क्वॉड बनाया गया है. ये हाल उसी सूबे के ऐसे शहर का है जहां का सांसद देश का प्रधानमंत्री है. उसी शहर के बीएचयू कैंपस में छात्राओं को छेड़खानी की शिकायत करने पर खामोश रहने को कहा जाता है. कैंपस में लड़कियों के शाम छह बजे के बाद और सुबह अंधेरा छंटने तक हॉस्टल से निकलने पर पाबंदी लगा दी जाती है.
बीएचयू कैंपस में लड़कियों की हालत का अंदाजा लगाने के लिए एक ही मिसाल काफी है – छेड़खानी से तंग आकर फाइन आर्ट्स की एक छात्रा ने सिर का मुंडन करना पड़ा है. अव्वल तो सुरक्षाकर्मियों के रहते बीएचयू कैंपस में ही ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिये. अगर उनसे नहीं संभलता तो स्थानीय प्रशासन को इसका समाधान खोजना चाहिये. कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सूबे की सरकार की है, जिसके पास पहले से ही गश्त पर निकला रोमियो स्कवॉड है. अगर प्रधानमंत्री के इलाके में छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं – और जिस दिन वो खुद शहर में हैं उस दिन इज्जत बचाने के लिए किसी छात्रा को सिर का मुंडन कराना पड़े – फिर तो देवी दर्शन अधूरा ही समझा जाएगा.

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *