ईरान तुर्की और मॉस्को ने डॉलर को साइड लाइन करने का किया एलान

आफ़ताब फारुकी

नई दिल्ली और मास्को ने डॉलर को साइड लाइन करते हुए व्यापारिक लेन-देन रुपय और रूबल में करने का फ़ैसला किया है।

रश्या टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, रूस के ख़िलाफ़ अमरीकी प्रतिबंधों के कारण, मास्को और नई दिल्ली के बीच रक्षा समझौतों से संबंधित 2 अरब डॉलर का लेन-देन प्रभावित हो रहा है।

दोनों देश इस समस्या से बचने के लिए डॉलर को साइड लाइन करने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए वे घरेलू मुद्राओं में एक दूसरे को भुगतान करेंगे।

ग़ौरतलब है कि 1960 से भारत, रूस से रक्षा उपकरण और हथियार ख़रीदने वाला सबसे बड़ा देश है। 1960 के बाद से भारत रूस के साथ 65 अरब डॉलर के रक्षा समझौते कर चुका है।

वर्तमान में भारत और रूस के बीच 12 अरब डॉलर मूल्यों के रक्षा समझौते हैं। भारत रूस से आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 ख़रीद रहा है, जिसकी क़ीमत 5 अरब डॉलर है।

हालांकि अमरीका ने भारत और रूस के बीच हुए इस समझौते का कड़ा विरोध किया है, यहां तक कि उसने नई दिल्ली के साथ सभी रक्षा समझौतों को रद्द करने तक की धमकी दी है।

इसी तरह का दबाव अमरीका, तुर्की पर भी डाल रहा है, लेकिन तुर्क सरकार ने अमरीका की धमकियों को नज़र अंदाज़ कर दिया है।

अब तक भारत और रूस अमरीकी डॉलर में लेन-देन करते रहे हैं, लेकिन अब दोनों देशों ने अमरीकी डॉलर से छुटकारा पाने का मन बना लिया है।

इससे पहले ईरान और तुर्की भी अन्य देशों के साथ लेन-देन में डॉलर को साइड लाइन करने की घोषणा कर चुके हैं।

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने 8 मई को परमाणु समझौते से बाहर निकलने का एलान किया था, जिसके बाद वाशिंगटन ने ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए थे।

ट्रम्प के इस फ़ैसले से पहले ही ईरान ने सरकारी स्तर पर हर तरह के लेनदेन से डॉलर को हटा दिया था और उसकी जगह यूरो में लेनदेन की घोषणा की थी।

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