विवाहित प्रेमी व नर्तकी प्रेमिका की राहें हुई जुदा, पंचायत के फैसले के बाद बेबस प्रेमिका अपने मां-बाप के साथ गई घर

तारिक आज़मी

ज्ञानपुर, भदोही। कोतवाली पुलिस का प्रयास उस समय रंग ले आया जब पंचायत ने भी प्रेमी-प्रेमिका को अलग-अलग रहने का फरमान जारी कर दिया। यह घटना ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के शुकुलपुर (डेहरिया) गांव की है। जहां दो दिनों से पहले से ही शादीशुदा आर्केस्ट्रा संचालक के ड्योढ़ी पर अचानक नर्तकी धमक पड़ी। तो उक्त प्रेमी की पहली ब्याहता पत्नी व नर्तकी के बीच बड़ा विवाद हो गया। दो बच्चों के बाप अपने पति की कारगुजारियों की पोल भी खुल गई।

हुआ यूं कि घर पर पत्नी के रहते हुए एक आर्केस्ट्रा संचालक नागपुर के नदेड़ निवासी एक नर्तकी से आर्केस्ट्रा संचालक दिल लगा बैठा। बात बढ़ी तो मामला प्रेम विवाह तक आ पहुंचा। आर्केस्ट्रा में नर्तकी का काम करने वाली युवती का दावा है कि आर्केस्ट्रा संचालक ने उसके साथ प्रेम विवाह किया है। ऐसे में जब वह अपना हक मांगने आर्केस्ट्रा संचालक के घर पर पहुंची उसकी पहली पत्नी ने उसे घर में घुसने से मना कर दिया। अपनी जान के खतरे का हवाला देकर विवाहिता पत्नी ने डायल हन्ड्रेड पुलिस को घर बुला लिया। जहां मौके पर पहुंची पुलिस दोनों पक्षों को लेकर कोतवाली आ पहुंची।

इसके बाद चला पंचायत का दौर। बताते चलें कि ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव निवासी युवक छविराम बिंद आर्केस्ट्रा संचालक है। सामने आई बातों के मुताबिक युवक नागपुर के नांदेड़ निवासिनी एक युवती जो अपनी मां रमाबाई के नेतृत्व में आर्केस्ट्रा संचालक के यहां डांस का कार्य करती थी। इसी बीच आर्केस्ट्रा में कार्यरत उक्त नर्तकी और आर्केस्ट्रा संचालक के बीच प्रेम हो गया। गुरुवार की डांसर युवती अपना हक मांगने आर्केस्ट्रा संचालक के घर आ पहुंची, तो युवक की पहली पत्नी ने नर्तकी का विरोध किया और दोनों को घर में घुसने नहीं दिया इससे नाराज दोनों पक्ष के लोग कोतवाली जा पहुंचे।

ग्रामीणों ने पंचायत के माध्यम से मामले को हल करवाया। मामला कुछ इस तरह हल हुआ कि प्रेमिका से पत्नी बनी युवती को अपने पति को छोड़ अपने परिजनों के साथ वापस जाना पड़ा। पंचायत ने फैसला दिया कि ब्याहता पत्नी अपने पति के साथ रहेगी और प्रेम विवाह करने वाली युवती दोनों के बीच रोड़ा नही बनेगी। मामला इस फैसले के बाद हल हुआ और पंचायत में सुलहनामा भी बन गया और पुलिस को दिल गया। पुलिस ने मामले को सुलहनामे के आधार पर हल कर लिया और प्रेम विवाह करने वाली युवती अंततः पंचायत के फैसले पर को राजी हो गई। नर्तकी ने अपने घर और दूर से आस लगाए ज्ञनपुर में आए अपने पिता और माता के साथ अपने घर वापस लौट गई है। मामला आखिर हल हो गया और मामले को हल करवाने वाले पंचायत में बैठे लोग अपनी पीठ थपथपा रहे है।

वही दूसरी तरफ पुलिस अपनी खुद की पीठ थपथपाने में मशगुल है और मामले के हल का डंका बजाने के लिए अपने साथ क्षेत्र के कुछ पत्रकारों को लेकर अपनी वाहवाही लूट रही है। कुछ तो ऐसा भी लिख रहे है कि पुलिस ने अथक प्रयास से मामला पंचायत में हल करवा दिया। मगर किसी को न्याय व्यवस्था के इस पंचायत तंत्र पर सवाल उठाने की फुर्सत नही दिखाई दे रही है। आखिर पंचायत ने घुटना पेट की तरफ मुड़ता है की कहावत को चरितार्थ कर दिया। नर्तकी युवती वापस तो जा चुकी है। मगर पंचायत करने वाले दिल पर हाथ रख कर बता सकते है कि क्या उस युवती के साथ इन्साफ हुआ है। शायद नही। एक युवक उससे कथित रूप से प्रेम विवाह करता है। मगर पंचायत युवती की बात को कमतर करके युवक के पत्नी की बात को ऊपर रखती है और एक ब्याहता पत्नी को उसका पति वापस दे देती है।

अब अगर दुसरे नज़रिये से देखे तो उस युवती तो इतनी दूर से अपने प्रेमी पति के लिए आई थी उसको क्या मिला। शायद उसको सच का आईना दिखाई दे गया और उसने तो अपनी आस तक को खो दिया। मगर साहब हमारे यहाँ कहा जाता है पञ्च परमेश्वर। अब पञ्च परमेश्वर ने फैसला दे दिया तो दे दिया। परमेश्वर के फैसले पर उंगली उठाने की भला किसकी मजाल हो सकती है।

मगर साहब एक मिनट के लिये उस युवती के परिजनों के जगह खड़े होकर देखे, उनके दिल से पूछे कि आखिर फैसला क्या उन्होंने माना होगा या फिर उनके ऊपर थोपा गया होगा। खैर साहब, हम तो दूर से मूकदर्शक की तरह है। हमारे पास पहले खबर आई युवती ने काटा अपने कथित पति के घर हंगामा तो हमने लिखा। फिर खबर आई कि पंचायत ने दिया फैसला तो मान गई युवती तो हमने लिख दिया। मगर साहब क्या करे, दिल में जो खटकता है न वही पाप होता है। अब दिल में खटक गई बात तो लिख दिया।

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