सखी सैया तो खुबे कमात है, महंगाई डायन खाये जात है, की तर्ज पर महंगाई के भेट चढ़ते त्यौहार

बापूनन्दन मिश्र

धनतेरस और दीपावली खुशियों का त्यौहार होता है। लोग इसे पूरे शिद्दत से  365 दिन  अर्थात एक वर्ष इंतजार करते हैं। तब यह सुनहरा पल धनतेरस  और दीपावली के  रूप में  उनके जीवन में आता है और उसका खुशी से इजहार करते हैं। खूब खरीदारी करते हैं और घर को सजाते धजाते हैं। इसलिए भी यह त्यौहार अच्छा होता है क्योंकि इसी धनतेरस को स्वास्थ धन आयुर्वेद के देवता धनवंतरी कि लोग पूजा करते हैं। आशीर्वाद प्राप्त करते हैं कि पूरे वर्ष मेरे जीवन में धन की कमी ना हो।

लेकिन महंगाई डायन के तरह मुह्बाये खडी रहती है और इस महंगाई ने सभी त्योहारो पर अपना असर बरक़रार रखा है। आपको उसका यह दंश झेलना है। आज दुकानदार अपनी  दुकान को सजा कर बैठ ग्राहकों का इंतजार कर रहा है। लेकिन इस महंगाई के चलते ग्राहक तो बाजार में दिख रहा है, मगर खरीदारी बहुत कम है। इसका सीधा असर इस धनतेरस के अवसर पर बाजार में दिख रहा है।

गरीब किसान इस त्यौहार पर  पूरे 1 वर्ष की इकट्ठा कि हुई पूजी दिवाली और धनतेरस पर कोई एक चिन्ह खरीद लेंगे ऐसा विचार रहता है। चाहे गाड़ी हो, सोना या चांदी का सिक्का हो। परिवार में  प्रतिदिन प्रयोग करने वाला कोई बर्तन हो  जो उसके काम लिया जाता है और त्यौहार भी हो जाता। बचे हुए धन का सही सदुपयोग हो जाता है। लेकिन इस महंगाई की मार से ग्रसित पूरा क्षेत्र बाजार जाना तो दूर घर से निकलना भी दूभर समझ रहा है। हकीकत देखे तो इस वर्ष का धनतेरस महंगाई के भेंट चढ़ गया है। जो साफ-साफ दिखाई दे  रहा है।

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