तराई पट्टी में टेरर फंडिंग का नेटवर्क, लखीमपुर (खीरी) -आखिर किसकी नज़र लग गई इस खुबसूरत गुलिस्ताँ को

फारुख हुसैन

लखीमपुर खीरी÷ यू तो इंडो नेपाल सीमा तस्करी के लिए हमेशा चर्चा में रहती थी। लेकिन अब आतंकवादी गतिविधियों के लिए चर्चित होने लगी है। खीरी से लेकर महाराजगंज तक इंडो नेपाल सीमा खुली होने के कारण आतंकियों के लिए मुफीद बनती जा रही है। जी हां तराई पट्टी में स्थित लखीमपुर खीरी में विगत 10 अक्टूबर को टेरर फंडिंग से जुड़ा सनसनीखेज खुलासा होने के बाद यह तय हो गया है कि इंडो नेपाल सीमा पर आतंकवादी गतिविधियां सक्रिय है। जिसके बाद सीमा पर जहां चौकसी बढ़ा दी गई है, वहीं टेरर फंडिंग के मामले की जांच कर रही एटीएस टीम ने खीरी बहराइच से लेकर महाराजगंज तक  टेरर फंडिंग के नेटवर्क के माड्यूल को चिन्हित किया है।

इतिहास गवाह है इंडो नेपाल सीमा हमेशा से आतंकियों के लिए मुफीद रही है। जिसमें खासकर खीरी जनपद की सीमा को इस्तेमाल किया जाता रहा है। 80 के दशक में तराई के रास्ते नेपाल से हथियारों की खेप, यह तिथि इस बात का दावा वर्ष 1985 में पंजाब सरकार कि एक रिपोर्ट मे किया गया था। करीब 2 वर्ष पहले प्रतिबंधित संगठन खालसा के दो संदिग्ध आतंकवादी भी पकड़े गए थे।

भारत नेपाल सीमा से लगा तराई का यह इलाका टेरर फंडिंग के पकड़े गए आरोपियों के बाद फिर चर्चा में है। वैसे तो यहां की खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा आए दिन तस्करी को लेकर चर्चा में रहती है। लेकिन इस बार मामला टेरर फंडिंग का है। भारत नेपाल सीमा सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है, चाहे यह नकली नोटों की खेप पहुंचाने की बात हो, या तस्करी। यह सीमा हमेशा से मुफीद रही है। इस बार आतंकवादियों को नेपाल के रास्ते टेरर फंडिंग किए जाने के मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी के बाद तमाम सवाल खड़े हो गए हैं।

तराई पट्टी में ट्रेन फंडिंग का जो सनसनीखेज मामला करीब 2 सप्ताह पहले यानी 10 अक्टूबर को सामने आया था। उसका बड़ा नेटवर्क यहां सक्रिय होने के इनपुट मिली थी। इस मामले में अब तक आठ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिन से महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिली है। सूत्रों के मुताबिक खीरी ही नहीं बल्कि नेपाल सीमा से सटे बहराइच और महाराजगंज तक ट्रेरर फंडिंग नेटवर्क के मॉडयूल मौजूद है। आपको बता दें विगत 10 अक्टूबर को पलिया बस स्टैंड के समीप पुलिस व क्राइम टीम ने टेरर फंडिंग करने वाले उमेद अली, संजय अग्रवाल, राज अली और बरेली निवासी समीर सलमानी को गिरफ्तार किया था। इनके पास से नेपाली व भारतीय मुद्रा भारी मात्रा में बरामद हुई थी।

पूछताछ के बाद मामला आतंकियों के फंडिंग से जुड़ा पाया गया था। जिसके बाद यूपी पुलिस ने पूरा केस एटीएस को सौंप दिया था। एटीएस की टीम ने बरेली निवासी फहीम और सिराजुद्दीन को गिरफ्तार किया था। इसमें अन्य दो आरोपी मुमताज और सरताज ने न्यायालय में समर्पण कर दिया था।।विगत 14 अक्टूबर को एटीएस ने पूछताछ के लिए कई आरोपियों को रिमांड पर लिया था। जिसके बाद एटीएस ने उक्त आरोपियों से तमाम जानकारी हासिल किया। सूत्रों के मुताबिक खीरी से लेकर महाराजगंज जिले तक की नेपाल सीमा से सटी तराई पट्टी में ट्रेलर फंडिंग नेटवर्क के करीब 100 मॉडयूल चिन्हित किए गए। फिलहाल गिरफ्तार आरोपियों से एटीएस कई बिंदुओं पर पूछताछ कर रही है।

बहरहाल इंडो नेपाल सीमा सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई है। पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के जवान गश्त कर रहे हैं। साथ ही आने जाने वाले लोगों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। पुलिस अधीक्षक पूनम ने बताया कि टेरर फंडिंग की घटना के बाद सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। सीमा सुरक्षा बल और पुलिस के जवान कड़ी निगरानी कर रहे हैं।

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