लाख हुई सख्ती फिर भी शाकाहारी कवक “कटरुआ” बिक रहा बाज़ार में एक हजार से बारह सौ रुपये किलो

फारुख हुसैन

पलिया कला लखीमपुर खीरी। बरसात के दिनों में तराई सहित साखू के जंगल से निकलने वाला जंगल का फसली शाकाहारी कवक “कटरुआ” यहाँ की बजार में एक हजार से बारह सौ रुपये किलो की दर से बिक रहा. जब्कि दुधवा नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर मनोज कुमार सोनकर ने इस बार पूरी तरह जंगल मे कटरुआ बीनने की आवाजाही पर रोक लगा रखा है. इतनी सख्ती के बाद भी दुधवा नेशनल पार्क सीमा क्षेत्र से कटरुऐ का बजार मे बिकना अपने मे ही एक पहेली है।

शाकाहारी जंगली-जीव-जंतुओं का फसली भोज्य ” कटरुआ” तेज आकाशीय बजली की कडक  के बाद साल-सागौन के जंगलों मे स्वतः निकालने वाला एक कवक है जिसे शाकाहारी वन्य जीव बडे चाव से खाते है। वहीं आदिवासी समुदाय तथा जंगलों के बीच रहने वाले वन वासी समुदाय के वन्य आश्रित लोग इसकी सब्जी बना कर बडे चाव से खाते है, यह कवक किसी तरह के प्रेशर कूकर से गलाया नहीं जा सकता और खाने में कटर-कटर की आवाज करता है इसी लिये इसका नाम कटरुआ पड़ गया. नेपाल में इसे फुटकी या देयुगरजा के नाम से.भी पुकारा जाता हैं।

तराई के लोग आदिवासियों तथा वनो मे रहने वाले समुदाय के रहन सहन और खानपान से भली भांति परिचित होते है. उन्हीं के प्रभाव में आकर यह जंगलों मे स्वतः उगने वाला फंगस कवक लोग के मुह का लजीज व्यजंन बन गया है। यह स्वतः बरसात के दिनो मे पानी बरसने पर जब बिजली कडकती है तो साखू के पेड़ो के नीचे धरती की कोख चीर कर उपर दिखाई देने लगते है. जिन्हें शाकाहारी जंगली जीव बडे चाव से खाते है. खाने मे यह लजीज़ स्वाद देता है।

यह स्वाद के कारण ही मनुष्यों की पहली पसंद वन गया और लोग जंगल से बीन कर बजारों मे उचे मूल्य पर बेच रहे है. इसके चलते जंगलो के अंदर मानवो की आवाजाही बढी है. जिससे वन्य जीवों का भविष्य संकटग्रस्त होकर रह गया है, तथा इसके दूर गामी परिणामों को देखते हुये रिजर्व फारेस्ट ऐरिया मे मानव के दखल पर रोक लगा दी गयी है. जिससे मानव व वन्यजीवो मे संघर्ष न ह़ो।

फिर भी पीलीभीत, पूरनपुर, बरेली, लखीमपुर, बहराइच, सीतापुर सहित नेपाल की तलहटी से सटे जनपदों मे कटरुआ की भारी खपत है, इधर कुछ ऐसे लोग भी है ज़ो मध्यप्रदेश के जंगलों से खरीद कर तराई क्षेत्र में ऊचें दामो पर इस कवक का व्यापार कर रहे है. बीते रविवार और सोम वार की स्थानीय बाजार मे चोरी छिपे कटरुआ 1000 रुपये/किलो से लेकर 1200 की दर तक बिका।

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