कानपुर – कथित पत्रकार पर युवती को बदनीयती से अपहृत करने का लगा गंभीर आरोप, मुकदमा हुआ दर्ज, पुलिस पर पत्रकारिता की धौस जमा कार्यवाही में पड़ रही बाधा – सूत्र

मो0 कुमैल

कानपुर। कानपुर में पत्रकारों के हितो में काम करने के लिए खुद को मशहूर करने वाले एक संगठन के पत्रकार पर एक युवती को बहला फुसला कर भगा ले जाने का गंभीर आरोप लगा है। इस आरोप की लिखित शिकायत पर 20 अगस्त को बादशाही नाका थाने पर दिली तहरीर के अनुसार पुलिस ने ऍफ़आईआर तो दर्ज कर लिया है। मगर शिकायत करने वाली पीडिता का आरोप है कि पत्रकारिता की धौस दिखा कर पत्रकार संगठन से जुड़े लोग पुलिस को कार्यवाही नही करने दे रहे है। बल्कि कानूनी दाव पेच खेलते हुवे अपहृता का केवल एक हलफनामा थाने भेज दिया गया है। अभी तक पीडिता की बेटी से न उसकी बात हुई है और न ही कथित अपहृता ही बरामद हुई है।

घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों और पीडिता के द्वारा दिली तहरीर के अनुसार शादी शुदा कथित पत्रकार दिग्विजय सिंह पीडिता के मोहल्ले में रहता है। बताया जाता है कि कथित पत्रकार खुद को एक पत्रकार संगठन का पदाधिकारी बता कर शहर में धौस भी जमाता है। पीडिता की तहरीर के अनुसार कथित पत्रकार दिग्विजय सिंह उसकी बेटी को बहला फुसला कर उसका शारीरिक शोषण करने के गरज से उसको दिनांक 16 अगस्त को भगा ले गया है जिसके बाद से उसका कोई अता पता नही है। पीडिता ने पुलिस को शंका जताई है कि उसकी बेटी के साथ कुकर्म के अलावा वह कथित पत्रकार उसको बेच सकता है, अथवा उसका शारीरिक शोषण करके उनको जान से भी मार सकता है।

वही अभी तक पुलिस कार्यवाही के अनुसार पुलिस के हाथ इस मामले में खाली ही है। पुलिस के पास केवल कथित अपहृता का एक कथित हलफनामा है जिसमे दावा किया गया है कि वह खुद की मर्ज़ी से कही और अन्य शहर में नौकरी कर रही है और अपने परिवार से दूर रह रही है। इस दौरान उसकी माँ केवल कथित पत्रकार को फ़साने की गरज से तहरीर दे रही है। उपोरोक्त शपथ पत्र मुकदमा दर्ज होने के बाद दिनाक 26 अगस्त का कानपुर नोटरी के यहाँ से बनवाया गया बताया जाता है।

वही पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपनी साख बचाने के लिए पत्रकार संगठन से जुड़े कुछ कथित लोग मामले में पुलिस पर दबाव बना रहे है। सवाल शपथ पत्र पर भी उठाना स्वाभाविक है कि जब किसी प्रकरण में मामला दर्ज है और कथित अपहृता कानपुर नगर आती है तो शपथ पत्र बनवाने के बजाये खुद अदालत से अनुमति लेकर अपना 164 का बयान क्यों नही दर्ज करवा देती है। पीडिता का आरोप है कि शपथ पत्र उसकी बेटी से जोर दबाव अथवा धमकी देकर लिखवाया गया होगा। उसको मानसिक प्रताड़ित किया गया होगा अथवा उसको उसके परिवार से सम्बंधित धमकी दिया गया होगा।

बहरहाल, समाचार लिखे जाने तक पुलिस के हाथ केवल एक कथित शपथ पत्र है जिस पर कथित अपहृता का फोटो चस्पा है और हस्ताक्षर है। शपथ पत्र कानपुर नगर से ही बना हुआ दिखाई देता है। पुलिस के पास अन्य किसी प्रकार की कोई सफलता अभी तक नही है। मामले में दबाव की बात भी सामने आने के बाद प्रकरण की निष्पक्ष जाँच भी सवालो के घेरे में है। पीडिता का आरोप है कि उसकी बेटी को तलाशने में पुलिस दबाव में काम कर रही है और तलाश नही रही है। वही देखने वाली बात ये होगी कि क्या पुलिस इस प्रकरण में कार्यवाही करती है अथवा किसी पत्रकार संगठन के कथित दबाव में कार्यवाही को ऐसे ही रोक कर रखे हुवे है। आखिर पुलिस कथित अपहृता को कैसे तलाश कर रही है कि वह कानपुर आकर शपथ पत्र बनवा कर दे देती है और पुलिस को उसकी भनक भी नही लग पाती है।

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