वाराणसी: रोपवे परियोजना का काम 14 जुलाई से होगा शुरू, परियोजना में एलाइनमेंट की कुल लंबाई 3.750 किलोमीटर की गई निर्धारित

ईदुल अमीन/अजीत शर्मा

वाराणसी: भोले बाबा की नगरी काशी अपनी सुन्दरता के लिए जानी जाती है। इसकी सुन्दरता को और बढाने के लिए नए-नए प्रयास भी होते रहते है ताकि आने वाले सैलानियों को भी सुविधा मिल जाये और किसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े। वही एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विकास का एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। दुनिया भर से बनारस आने वाले सैलानियों को अब भीड़भाड़ वाले इलाके कैंट स्टेशन से गौदौलिया तक के सफर के लिए रोपवे की सुविधा मिलेगी। रोपवे परियोजना का काम 14 जुलाई के बाद किसी भी दिन शुरू हो जाएगा। निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही इस परियोजना का भूमिपूजन कराया जाएगा और इसी के साथ निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएगा। 3.75 किमी के रास्ते में पांच स्टेशन होंगे। बदलते बनारस की सबसे महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना को दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर विकसित करने की है।

बताते चले कि दिल्ली मेट्रो की तरह ही रोपवे के अंतिम स्टेशन गोदौलिया पर चारों दिशाओं में निकास द्वार बनाए जाएंगे। परियोजना में पांच स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं, जिसमें पहला स्टेशन कैंट , उसके बाद विद्यापीठ स्टेशन, रथयात्रा स्टेशन, गिरजाघर क्रासिंग और अंतिम स्टेशन गोदौलिया चौक पर प्रस्तावित किया गया है। रोपवे में 228 केबिन होंगे। हर तीन से चार मिनट के अंतराल पर यह सेवा उपलब्ध रहेगी। एक केबिन में 10 लोग सवार हो सकेंगे। 6.5 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से 17 मिनट में तय करेंगे। रोपवे से सफर करने वाला यात्री को वायु और ध्वनि प्रदूषण से राहत मिलेगी। रोपवे स्टेशन और ट्रॉली पर वाराणसी की कला, धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। स्टेशन पर एस्केलेटर भी बनेगा। कैंट रेलवे स्टेशन और गोदौलिया चौराहे पर टर्मिनल स्टेशन बनेगा।  परियोजना में एलाइनमेंट की कुल लंबाई 3.750 किलोमीटर निर्धारित की गई है।

विकास कार्यों की समीक्षा करने वाराणसी पहुंचे मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना पर लंबी चर्चा की और कहा कि काशी पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं का शहर है। रोपवे कार्य यहां के लिए महत्वाकांक्षी योजना है। इसे शीघ्र शुरू कराकर गुणवत्ता के साथ निर्धारित समय सीमा में पूर्ण कराया जाए। शिव के डमरू आकार का बनने वाले मंडलीय कार्यालय भवन परियोजना पर कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बैठक में बताया कि तीन बार टेंडर के बाद भी कार्यदायी संस्था आगे नहीं आई है। पीपीपी मॉडल पर बनने वाली इस परियोजना में 30 वर्ष के लीज को 90 वर्ष और दोनों टॉवर के नीचे का हिस्सा व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराने की मांग है। मुख्य सचिव ने भारत सरकार के मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट संगठन से भवन के स्टीमेट का पुनर्मूल्यांकन का निर्देश दिया। साथ ही स्मार्ट व ग्रीन बिल्डिंग बनाए जाने पर जोर दिया।

वही मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने रविवार को नमो घाट का निरीक्षण किया तथा यहां से मोटरबोट से टेंट सिटी साइट पहुंच कर स्थलीय मुआयना किया। उन्होंने फरवरी की बजाय मई तक टेंट सिटी बसाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आमतौर पर मानसून 15 जून के बाद से शुरू होता है, इसलिए इसे मई तक क्रियाशील रखा जा सकता है। गंगा पार रेती पर बनने वाले टेंट सिटी के संबंध में कमिश्नर ने बताया कि यह अक्टूबर से फरवरी तक रहेगी। मुख्य सचिव ने प्रयागराज के कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा टेंट सिटी बताते हुए कहा कि जिलाधिकारी इलाहाबाद के साथ इस संबंध में बैठक कर जरूरत पड़ने वाले अनापत्ति प्रमाण पत्रों आदि के बंध में जानकारी प्राप्त कर ली जाए। इसके साथ ही नमो घाट के निर्माण पर संतोष व्यक्त करते हुए यहां और सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया।

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