ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: हाई कोर्ट में हुई सुनवाई पूरी, फैसला रखा अदालत ने सुरक्षित, स्वामी जितेंद्रानन्द ने कहा ‘पूजा रुकी तो नमाज़ रोकना होगा’, बोले एसएम यासीन ‘अदालत पर दबाव बनाने का तरीका है’

तारिक खान

प्रयागराज: ज्ञानवापी मस्जिद के मुताल्लिक चल रहे वाद में आज हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है और अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। बताते चले कि ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाना जिसको व्यास जी का कमरा कह कर संबोधित किया था में पूजा का अधिकार जिला जज अदालत के द्वारा 31 जनवरी को दे दिया गया था। उस आदेश के मुखालिफ मस्जिद कमेटी ने यह याचिका दाखिल किया था।

गौरतलब हो कि जिला जज अदालत के द्वारा एक याचिका पर सुनवाई करते हुवे 31 जनवरी (इत्तिफाक से इसी दिन जिला जज रिटायर्ड भी हो गये थे) को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिन्दू पक्ष को पूजा का अधिकार दे दिया गया था। आदेश आने के चंद घंटो के अन्दर ही जिला प्रशासन के द्वारा मस्जिद की बैरिकेटिंग काट कर पूजा पाठ शुरू करवा दिया गया था। जिसके सम्बन्ध में ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया था।

आज अदालत में सभी पक्षों की गवाही, शहादत और साक्ष्य सहित जिरह सुनने के बाद सुनवाई मुकम्मल किया और फैसला सुरक्षित रख लिया है। अभी यह निश्चित नही है कि अदालत इस पर अपना फैसला कब सुनाएगी। मगर इसी दरमियान बयानबाजी का दौर जारी हो गया है। स्वामी जीतेन्द्रनन्द सरस्वती ने कहा है कि अगर ज्ञानवापी में पूजा रुकी तो नमाज को भी रोकना होगा। आज गुरूवार को अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती ने प्रेस कांफ्रेंस ने यह बात कही।

उन्होंने प्रेस वार्ता में मुस्लिम धर्मगुरुओं पर बड़ा आरोप लगाया कि मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा देश का माहौल खराब किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के विषय से सम्बंधित न्यायालय, न्यायाधीश, पुलिस और प्रशासन के अधिकारीयों को व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाया जा रहा है और इन लोगों के द्वारा काशी को अस्थिर करने के लिए षडयंत्र रचे जा रहे हैं। देश के अंदर अजरकता उत्पन्न कर न्यायालय पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। अपने आरोप में उन्होंने बनारस से भी कुछ धर्मगुरुओं के द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में जाकर धर्मसभा को संबोधित करते हुए ज्ञानवापी का मुद्दा उठाने की बात कही है।

इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि 31 जनवरी से न्यायालय के आदेश पर ज्ञानवापी के नीचे व्यासजी के तलगृह में पूजा प्रारम्भ हुई है। पूजा रूकवाने के लिए हर तरह का षड्यन्त्र हो रहा है। न्यायालय और संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाया जा रहा है। किसी भी परिस्थिति में अगर पूजा रोकी जाएगी तो फिर वहाँ पर नमाज को भी रोकना होगा। संवैधानिक अधिकारों का हनन तो हिन्दुओं को हुआ था, जब 1993 में बिना किसी लिखित आदेश के ज्ञानवापी तलगृह में पूजा बन्द करा दी गई थी। इसके लिए किसी न्यायालय ने कोई आदेश नहीं दिया था। यदि ऐसा कोई आदेश था तो प्रशासन को यह सार्वजनिक कर सच्चाई देश के सामने रखनी चाहिए। ज्ञानवापी में पहले केवल 100-200 लोग नमाज पढ़ते थे। यह सूची प्रशासन के पास है। अदालत के आदेश पर जिस समय सर्वे प्रारम्भ हुआ, उस समय से काफी संख्या में बाहरी लोग नमाज पढ़ने के लिए इकट्ठा होने लगे हैं।

बाहरी नमाजियों पर रोक लगाने की माँगा करते हुए बाहरी लोगों के आने से माहौल खराब होता है। इसलिए बाहरी लोगों को वहाँ आने से रोका जाए। उनके परिचय-पत्र की जाँच हो। वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हो। जो लोग भी माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें चिन्हित कर उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए। सन्त समाज भी इस पर अपने तरीके से नजर रखेगा।

बोले एसएम यासीन ‘अदालत पर दबाव बनाने का एक तरीका है’

इस सम्बन्ध में ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कोई विशेष बयान देने से मना करते हुवे महज़ इतना ही कहा है कि यह सब अदालत पर दबाव बनाने का एक तरीका है। वह इस तरीके के बयानों से अदालत पर दबाव बनाना चाहते है। पूजा पर उन्होंने कहा कि ‘वहां कभी भी पूजा होती ही नही थी, तो फिर 1993 में बंद कर देने का सवाल कहा से पैदा होता है।

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