सीएए लागू होने पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ने कहा- मुसलमानों से क़ानून का लेना-देना नहीं

सबिया अंसारी

डेस्क: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने का स्वागत किया है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘मैं इस क़ानून के लागू किए जाने पर इसका स्वागत करता हूं। ये बहुत पहले लागू किया जाना चाहिए था, ख़ैर देर आए-दुरुस्त आए।’ उन्होंने कहा कि इस क़ानून को लेकर मुसलमानों के बीच बहुत सी गलतफ़हमियां हैं, जिसे दूर किया जाना चाहिए।

बरेलवी ने कहा, “इस क़ानून का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। सीएए क़ानून से सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से जो गै़र-मुस्लिम भारत आए हैं और सालों से यहां रह रहे हैं, जिन्हें नागरिकता नहीं मिली है, उन्हें नागरिकता दिए जाने के लिए कोई क़ानून नहीं था। इसलिए भारत सरकार ने ऐसा क़ानून बनाया, जिसके तहत 2014 तक यहां (भारत) पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान से आए ग़ैर-मुस्लिम रह रहे हैं। जिनके साथ उस मुल्क़ में ज़्यादतियां हुई थीं, उनको यहां पर भारत सरकार नागरिकता देगी।’

उन्होंने कहा कि इस क़ानून से भारत के करोड़ों मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है और न ही इस क़ानून के ज़रिए किसी भी मुसलमान की नागरिकता जाएगी। बरेलवी का कहना है कि कुछ पॉलिटिकल लोगों ने मुसलमानों के बीच गलतफ़हमी पैदा की थी। जगह-जगह हुए धरने और प्रदर्शन इसी गलतफ़हमी की बुनियाद पर थे। लेकिन अब बहुत हद तक ये गलतफ़हमियां दूर हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं भारत का हर मुसलमान इस क़ानून का स्वागत करे।

केंद्र सरकार ने सोमवार देर शाम नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर अधिसूचना जारी की, जिसके बाद ये देश में लागू हो गया। इस क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यक अपने माता-पिता, दादा-दादी या उनसे पीछे की पीढ़ी की राष्ट्रीयता के दस्तावेज़ दिखाकर भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं।

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