तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ : हमारी काकी कहिन बबुआ, तुम्हार काका तो खुबे कमात है, बस महंगाई डायन खाए जात है

तारिक़ आज़मी

मशहूर फाक सांग है, सखी सैया तो खुबे कमात है, महंगाई डायन खाय जात है।” इस गाने को सुनकर भले आपका मनोरंजन होता हो। मगर हकीकी ज़िन्दगी में ये बहुत ही सटीक फिट हो रहा है। बढ़ते पेट्रोल और डीज़ल के दामो के बीच इधन क्या महंगा हुआ। ऐसा लगा कि सामानों के दामों में आग लग गई हो। पकौड़े तलने को कहने में हिम्मत छूटने लगी है क्योकि पता है सरसों का तेल डबल सेंचुरी मार चूका है। साग सब्जी ने तो हडकंप मचा रखा हुआ है। न जाने हम हालात में कैसे खोये हुवे थे कि टमाटर 60 रुपया किलो हो गया। काका तो सब्जी लेने से सन्यास ले चुके है। काकी के जिम्मे ही सब्जी खरीद आ गई है। मगर पाकेट तो काका की ही कटनी है। बस दाम से उनका बीपी हाई नही होता है।

वैसे पेट्रोल-डीजल और गैस के बढ़ते दाम घर से कारोबार तक असर डाल रहे हैं। इस साल जनवरी से अक्तूबर के बीच पेट्रोल के दाम 21 फीसद और डीजल के दाम 25 फीसद बढ़ गए हैं। रसोई गैस के दाम में भी इस दौरान 27 फीसद की वृद्धि हुई। रसोई गैस के बढ़ते दाम से खाने पीने की चीजें महंगी हुईं और रसोई का बजट बिगड़ा तो पेट्रोल-डीजल के कीमतों में उछाल आने से किराये पर असर पड़ा। मालभाड़ा महंगा होने से जरूरी वस्तुओं के दाम भी बढ़े। इन सबका असर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आम आदमी की जेब पर पड़ा है।

ध्यान से देखे तो पता चलेगा कि ब्रेड-बिस्कुट, नमकीन भी अपने दामो को ऊँचा करके शोकेस में ऐठ कर बैठे है। आपको भले दाम वही समझ आये क्योकि एमआरपी बढ़ी नही है बस वज़न कम हो गया है। अब वज़न से भाव की बराबरी करेगे तो बेशक आप समझ जायेगे कि जितने दाम में कल तक आप 250 ग्राम का पैकेट लेते थे, अज उतने की 200 ग्राम की पैकेट आने लगी है। वैसे ब्रांडिंग का ये ज़माना है समझते समझते काका को बुढापा आ गया कि आखिर पहले 2 किलो डिटर्जेंट पाउडर से पुरे महीने कपडे धुल जाते थे। आज कपडे भी उतने ही है, काकी का पसंदीदा डिटर्जेंट भी वही है। मगर अब तीन किलो से ज्यादा लगा जाते है। वो तो काका को एक दिन हमने तीन साल पुराने डिटर्जेंट के चम्मच और वर्त्तमान के चम्मच में बराबरी करके दिखाया तब जानकारी हासिल हुई कि चम्मच का साइज़ बड़ा कर दिया गया है। ढेर पाउडर निकलेगा तो ढेर लगेगा। फिर बिक्री भी बढ़ेगी। इसको कहते है ब्रांडिंग। काका समझते ही नही है।

अब काका के तो ये भी नही समझ आ रहा है कि पहले वो दस रुपये वाले ब्रेड का वजन डेढ़ सौ ग्राम होता था, अब वह भी थोडा सेहत ख़राब कर बैठा है और महज़ सवा सौ ग्राम का हो गया है। दस रुपये में काका अक्सर आलू भुजिया नमकीन लेकर आते थे। हम भी खाते थे। कोल्ड ड्रिंक हमारी और आलू भुजिया काका की, मगर पचास ग्राम नमकीन वाले पैकेट में अब 45 ग्राम ही नमकीन मिल रही है। यानी दस फीसद की कमी कर डाला और कहते है महंगाई नही बढ़ी है। यही हाल बिस्कुट का है। पांच रुपये वाले बिस्कुट के पैकेट में वजन पांच से आठ ग्राम कम किया गया है। काका को पता ही नहीं चल पाया कि उनका बिस्कुट कैसे उनकी शाम की छोटी वाली भूख कम मिटा रहा है।

काका अब समोसे और चाट के दामो पर भी खूब चिंघाड़ देते है। महंगाई का असर नाश्ते की दुकानों पर भी दिखाई देगा ये बात काका को समझ नही आती है। हलवाइयों ने समोसे के दाम सात से दस रुपये जिसके पांच के थे, वो 7 कर बैठे और जिसके 7 के थे अब 10 के हो गए है। बड़ी मुश्किल से काका को समझाया कि बेसन से बनी मिठाई के दाम 40 से 80 रुपये किलो बढ़े हैं। तो दूध से निर्मित मिठाई के दाम भी चालीस से साठ रुपये किलो बढ़ गए हैं। मेवा आधारित मिठाइयों के दाम में भी सौ से दो सौ रुपये किलो तक बढ़ गए है। काका ने तो फैसला कर डाला कि इस बार दीपावली पर बेसन का लड्डू घरवे बनवा लेंगे। वही काकी ने भी कसम खा लिया है कि वो लड्डू नही बनाएगी। उनके नाज़ुक हाथो में जलन होने लगती है। काका ने कह दिया है कि वो नही बनाएगी तो काका खुदही बना लेंगे। ई बात हम आप सबको इस वास्ते बता रहे है कि “खाने से पहले सावधान, चीनी की जगह नमक भी ले सकता है काका का लड्डू।”

काकी ने अपना बजट सीमित करना शुरू कर दिया है। कहती हैं कि बंधे बंधाए इनकम में घर चलाने के लिए रसोई में जरूरी सामान को छोड़कर अब कटौती कर रही हु। काकी ने आज ही काका को मना लिया है और काका अब सब्जी लेने के लिए पंचकोसी सब्जी मंडी जायेगे। काका तेल की बचत करने के लिए पैदल ही जायेगे। दो किलोमीटर जाना और दो किलोमीटर आना यानी 4 किलोमीटर चल लेने से काका की सेहत भी ठीक हो जाएगी और तोंद भी थोडा अन्दर चली जाएगी। सब पेंट काका की अनफिट होती जा रही है। काकी को इसकी चिंता भी है कि उनके स्मार्ट बढ़ऊ आज कल तोंदू होते जा रहे है। अब काका इसको भी बजट में देख रहे है कि काका का तेल का खर्चा भी बच जायेगा।

तारिक आज़मी
प्रधान सम्पादक

काका रिकार्ड भी पूरा रखते है। उन्होंने हमको बड़े डिटेल से बताया कि कब कितना इंधन का दाम बढ़ा। देख कर तो माथा ही चकरा गया है कि आखिर कैसे बजट संभाला जाये। यही वजह है कि बेडरूम में पाकेट डकैती के अधिकार में बढ़ोतरी हो चुकी है। पहले 300 की डकैती रोज़ होती थी आम सामानों के अलावा। मगर अब इसमें भी ज़बरदस्त बढ़ोतरी आई है और अब ये 500 रुपया प्रतिदिन हो गई है। वैसे हकीकत तो ये भी है कि एकलौता ऐसा अपराध है जो लगभग हर एक घर में होता है मगर इसकी न कोई शिकायत होती है और न ऍफ़आईआर। पुरुष समाज रोज़ ही इससे दो चार हो रहा है। आप हमारी बातो पर मुस्कुरा रहे है। चलिए हमारी मेहनत सफल हुई कि आप इस महंगाई के युग में भी हमारे हल्के फुल्के लफ्जों से मुस्कुरा रहे है। आपको बताते है कि इस तरह ईंधन के दाम बढ़े है :

    माह         पेट्रोल      डीजल    रसोई गैस

  • जनवरी    83.66   74.78    756.50
  • फरवरी     85.66   76.93    831.50
  • मार्च         89.37  81.92    881.50
  • अप्रैल       88.92   81.32    871.50
  • मई          88.77   82.19    871.50
  • जून          81.81  85.86    871.50
  • जुलाई       96.08  89.64    897.50
  • अगस्त     98.74  90.34    922.00
  • सितंबर    98.93   90.44    947.00
  • अक्तूबर   101.36 92.67   962.00

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