लंका और भेलूपुर पुलिस प्रशासन की लगाम से बेलगाम है “90 डिग्री’ और “कारागार कैफे’ के संचालक, 2 दिन हुआ बंद और फिर धड़ल्ले से चालू है दोनों जगह हुक्का पार्लर

तारिक़ आज़मी

वाराणासी। वाराणसी के रविदास गेट के निकट 90 डिग्री कैफे और दुर्गाकुंड का कारगर कैफे के संचालक भले देखने मे एक दूसरे के कम्पटीटर दिखाई देते हो। मगर हकीकत ये है कि दोनों के संचालक एक दूसरे का काफी ख्याल रखते है। कहते है दो नम्बर के काम मे एक नम्बर की ईमानदारी होती है। तो यही ईमानदारी दिखाते हुवे दोनों ही कैफे में धड़ल्ले से दुबारा हुक्का पार्लर चालू हो चुका है। लंका पुलिस ने जहा 90 डिग्री पर अपनी आंखे बंद कर रखा है तो वही भेलूपुर पुलिस ने कारगर कैफे पर आंख मूंद लिया।

फिर क्या था भेलूपुर और लंका पुलिस जहा आंख बंद की दोनों कैफे में धड़ल्ले से हुक्का पार्लर चलना चालू हो गया है। अब न पुलिस का डर और न प्रशासन का खौफ। दो नम्बर के काम मे एक नम्बर की ईमानदारी सामने आई। सूत्र बताते है कि 90 डिग्री को बचाने के लिये कारागार कैफे के मालिक ने अपने ऊंचे लेवल के सम्बंध निभाया तो कारागार कैफे को सेट करने में 90 डिग्री के मालिक ने अपने सोर्स को लगा डाला।
हमारी खबर इन दोनों कैफे में चलते हुक्का पार्लर के सम्बंध में प्रकाशित हुई थी। खबर के प्रकाशन से दोनों जगह खलबली मची और खलबली के बाद थोड़ा पुलिस ने भी सख्ती दिखाया। मगर कहते है कि “4 दिन चर्चा उठेगी डेमोक्रेसी लाएंगे” के तर्ज पर क्रांति आई। 4 दिनों तक दोनों कैफे में हुक्का बार का संचालन बंद हुआ। उधर पुलिस ने अपनी व्यस्तता की बात बतायां, इधर इन काले कारोबारियों ने अपने कारोबार को फिर से शुरू कर डाला। धड़ल्ले से हुक्का बार दोनों जगह चल रहा है। पुलिस प्रशासन मौन है।

अगर लंका और भेलूपुर पुलिस की कार्यशैली पर ध्यान दे तो दोनों जगह हाल एक जैसा ही है। एसीपी भेलूपुर प्रवीण सिंह खुद 16-18 घण्टे मेहनत न करे तो इस क्षेत्र की क्या स्थिति हो आसानी से समझा जा सकता है। एसीपी के सख्ती पर ही कुछ दिनों के लिये ये हुक्का बार बंद हुवे। मगर जैसे ही एसीपी व्यस्त हुवे वैसे ही लंका पुलिस तथा भेलूपुर पुलिस ने अपनी आंखें बंद कर डाली।

अब देखना ये होगा कि आखिर कब वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए0 सतीश गणेश धुंआ के बीच किशोर किशोरियों की ज़िंदगी मे नशे को पहचाने वाले इन हुक्का बार पर अपनी सख्ती दिखाते है।

 

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