केरल विधानसभा के 10वे सत्र के पहले दिन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने 15 सेकेण्ड के भाषण में ऐसा क्या कह दिया जो हो गया वामपथियो के आलोचनाओं का शिकार

तारिक़ खान

केरल विधानसभा के 10वें सत्र के पहले दिन राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने अपना संबोधन महज एक मिनट 15 सेकेंड में ख़त्म कर दिया। इन मौकों पर राज्यपाल संवैधानिक नियमों के तहत अपने संबोधन में राज्य सरकार को ‘मेरी सरकार’ कहकर संबोधित करते हैं। लेकिन राज्यपाल ख़ान इससे बिल्कुल बचते नजर आए। राज्यपाल ने 61 पन्नों के भाषण में से आखिरी पैराग्राफ़ पढ़ा।

राज्यपाल के इस कदम से एक बार फिर वामपंथी मोर्चे वाली राज्य सरकार के साथ उनका तनाव खुलकर सामने आ गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार की नीतियों पर ये सबसे छोटा संबोधन है। राज्यपाल ने ने अपने संबोधन में कहा, हम लोग ये याद रखें कि हमारी विरासत भवनों और इमारतों में नहीं बल्कि हम भारत के संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघीय ढांचे और सामाजिक न्याय को कितना सम्मान देते हैं, ये इसमें निहित है। संघीय ढाचों में सहयोग ही हमारे देश को इतने वर्षों से जोड़कर रखे हुए है। ये हमारा कर्तव्य है कि हम इसे सुरक्षित रखें। विविधता में एकता और इस खूबसूरत देश में आने वाली सभी चुनौतियों से उबरते हुए समावेशी विकास का ताना-बाना बुनें।’

हालांकि, पूर्व स्पीकर एमबी राजेश ने राज्यपाल के भाषण पर कहा कि वो (ख़ान) ‘तकनीकी रूप से सही’ हैं, उन्होंने जो पढ़ा वो सरकार की नीति में है। ख़ान और वामपंथी मोर्चे की सरकार के बीच नागरिकता (संशोधन) कानून, कई विधेयकों पर राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर से इनकार करने और सत्ताधारी सीपीएम की स्टूडेन्ट विंग एसएफ़आई के साथ उनके टकराव चर्चा का विषय रहे हैं।

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