ओवैसी ने किया चन्द्रबाबु नायडू, नीतीश कुमार और चराग पासवान से अपील, पढ़े कौन दल है किसके साथ और क्या स्टैंड होगा वक्फ संशोधन बिल पर निर्दल सांसदों का

आदिल अहमद
डेस्क: वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश हो गया है और विपक्ष जमकर इसका विरोध कर रहा है। इंडिया गठबंधन ने इस विरोध पर कमर कसी हुई है, जबकि नीतीश और चंद्रबाबू नायडू भले ही बिल के समर्थन में है। मगर उनकी कुछ मुश्किलें भी है। वह मुख्य मुश्किल है मुस्लिम मतदाताओं में इनकी पैठ। दोनों की ही पैठ मुस्लिम मतदाताओं में बढ़िया है। ऐसे में दोनों ही मुस्लिम मतदाताओं को अपने मुखालिफ नही करना चाहेगे।

इसके पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन के सभी दलों ने मंगलवार को दिल्ली में बैठक कर एक संयुक्त रणनीति बनाई। बैठक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एकजुट होकर इस बिल का विरोध करने की बात कही। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘वक़्फ़ संशोधन बिल पर मोदी सरकार के असंवैधानिक और विभाजनकारी एजेंडे को हराने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं और संसद में मिलकर काम करेंगी।’ लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी के 37 सांसद हैं। पार्टी ने व्हिप जारी करके सभी सांसदों से संसद में मौजूद रहने और बिल पर संयुक्त विपक्ष का समर्थन करने को कहा है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस, एनसीपी (शरद पवार), आरजेडी, डीएमके समेत इंडिया गठबंधन के दलों ने इस विधेयक को ग़ैर-संवैधानिक कहा है।
संसद में ऐसी कई छोटी पार्टियां और निर्दलीय सांसद हैं, जिनमें कुछ ने खुलकर वक़्फ़ संशोधन बिल का विरोध किया है। इनमें एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और बिहार में पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का नाम प्रमुख हैं। 22 मार्च को जंतर मंतर पर वक़्फ़ संशोधन बिल के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के धरना प्रदर्शन में पप्पू यादव भी शामिल हुए थे। उन्होंने सदन में इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन दिया। लोकसभा में सात निर्दलीय सांसद हैं, इनमें पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव भी शामिल हैं। पप्पू के अतीत में बयानों को देखें तो साफ़ है कि वे वक्फ़ बिल में संशोधन का विरोध करेंगे।
महाराष्ट्र में सांगली से प्रकाशबाबू पाटिल निर्दलीय सांसद हैं लेकिन वे कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण आज़ाद उम्मीदवार बने थे। संभव है कि वो कांग्रेस के साथ ही जाएं। लेकिन उन्होंने अब तक साफ़ इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है। पंजाब के खडूर साहिब से ख़ालिस्तान की हिमायत करने वाले अमृतपाल सिंह सांसद हैं। लेकिन वो इस वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तारी के बाद डिब्रूगढ़ जेल में हैं। जम्मू कश्मीर के बारामुला से अब्दुल रशीद शेख़ भी जेल में हैं और वे भी संभव है कि मतदान में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
इसके अलावा पंजाब के फ़रीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा, दमन व दीव (केंद्र प्रशासित क्षेत्र) से पटेल उमेश भाई बाबूभाई और लद्दाख से मोहम्मद हनीफ़ा भी निर्दलीय सांसद हैं। तीन ऐसी क्षेत्रीय पार्टियां हैं जिनका अपने प्रदेशों में जनाधार है लेकिन वो केंद्र में किसी गठबंधन में शामिल नहीं हैं। इनमें मायावती की बहुजन समाज पार्टी, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल भी हैं। हालांकि दोनों ही पार्टियों का एक भी सांसद लोकसभा में नहीं है। आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी के चार सांसद हैं।
यह पार्टी भी किसी गठबंधन में नहीं है। आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के एकमात्र सांसद चंद्रशेखर आज़ाद हैं, जो उत्तर प्रदेश के नगीना से जीते थे। एनडीए से अलग हो चुके पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की एकमात्र सांसद हरसिमरत कौर हैं। भारत आदिवासी पार्टी के एकमात्र सांसद हैं राजकुमार रोत। वह कांग्रेस के समर्थन से राजस्थान के बांसवाड़ा से जीते हैं। मिज़ोरम में ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ज़ेडपीएम) के सांसद रिचर्ड वनलाल्हमांगैहा हैं। और मेघालय में वॉइस ऑफ़ द पीपुल पार्टी के एकमात्र सांसद हैं डॉ। रिकी एंड्र्यू जे सिंगकॉन।










