सजौली मस्जिद ध्वतिकरण आदेश पर बोले मौलाना अरशद मदनी ‘ऐसा कानून बना दिया है कि एक क्या हज़ारो मस्जिदे गिरेगी’

तारिक आज़मी
डेस्क: शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत ने शनिवार (03 मई, 2025) को फैसला सुनाया कि संजौली मस्जिद की सभी पांच मंजिलें अनधिकृत थीं और पूरे ढांचे को गिराने का आदेश दिया। मामले पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अब तो ऐसा कानून बना दिया कि एक क्या हजारों मस्जिदें गिरेंगी।

उन्होंने ये भी कहा, ‘तलाक के कानून के खिलाफ आपने फैसला कर लिया, हम क्या करेंगे। वह कहते थे कि राम जन्मभूमि है, हम कहते थे राम जन्म भूमि नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह राम जन्मभूमि नहीं है मस्जिद अपनी जगह बनी है। हमारी इतनी मस्जिदें बनी हैं, क्या सरकार बनाती है मस्जिदों को? हमारे अंदर ताकत होगी तो हम खुद खरीदेंगे और खुद बना लेंगे मस्जिद।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार से कोई गिला शिकवा नहीं है। हम मुसलमान हैं, अपनी जिंदगी को गुजार रहे हैं। मुल्क के अंदर जिस चीज को बढ़ावा दिया जा रहा है, बहुत गलत है। उनके लिए भी। अगर यह नफरत की सियासत का दरवाजा खुला रहा तो एक ऐसा दिन आ जाएगा कि सांस लेना भी मुसलमान और हिंदू के लिए मुश्किल हो जाएगा।’
अरशद मदनी ने कहा, ‘गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेशी हिंदुस्तान में रहते हों चाहे सऊदी अरब में या फिर कहीं भी तो उनको निकाल देना चाहिए। अगर कहते हैं कि ये बंगाली नहीं बाग्लादेशी हैं और सबूत है कि ये वीजा लेकर बांग्लादेश से आए थे और यहां रह गए तो उन्हें फौरन निकाल दो। धक्का देकर निकाल देना चाहिए।’
क्या है सजौली मस्जिद का मामला
बताते चले कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में स्थित मस्जिद की नीचे की दोनों मंजिलों को भी नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने अवैध करार दे दिया है। वक्फ बोर्ड का दावा था की मस्जिद देश की आज़ादी से पहले की बनी हुई है।। मगर कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए नीचे की दोनों मंजिलों को भी गिराने के आदेश दिए। इससे पहले ऊपर की तीन मंजिलों को कोर्ट 5 अक्तूबर, 2024 को अवैध करार देकर गिराने के आदेश दे चुका था।
कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद कमेटी ने ऊपर की दो मंजिलों को गिरा भी दिया है। इस तरह अब पांचों मंजिलों को अवैध करार देते हुए कोर्ट ने पूरी तरह गिराने के आदेश जारी कर दिए हैं। शनिवार को सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड निचली दो मंजिलों के निर्माण की मंजूरी, नक्शा और राजस्व रिकॉर्ड पेश नहीं कर पाया। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 8 मई तक इस मामले की सुनवाई पूरी करने के आयुक्त कोर्ट को आदेश दिए थे, जिसके चलते आयुक्त कोर्ट ने शनिवार को अपना अंतिम फैसला सुना दिया है।
वक्फ बोर्ड ने आयुक्त कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने का फैसला लिया है। बोर्ड ने दावा किया कि निचली दो मंजिलें देश की आजादी से भी पुरानी हैं। इनकी जगह ही मस्जिद का निर्माण किया गया है। हालांकि, पर्याप्त समय देने के बावजूद मस्जिद की निचली मंजिलों के निर्माण की मंजूरी, नक्शा और जमीन के मालिकाना हक का राजस्व रिकॉर्ड पेश न होने पर कोर्ट ने इन्हें भी अवैध करार दे दिया।










