साइबर अपराधियों को एक्टिवेट सिम बेचने वाले गैंग का किया युपी एसटीऍफ़ ने पर्दाफाश, गैंग लीडर ओम प्रकाश सहित कुल 6 अभियुक्त गिरफ्तार, अब तक 10 हज़ार सिम कर चूका था ये गैंग सप्लाई

ईदुल अमीन

डेस्क: यूपी एसटीऍफ़ ने साइबर अपराध में लिप्त एक हाईटेक गिरोह का पर्दाफाश करके कुल 6 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों में एक कंपनी का टीएसई और दो फोन बेचने वाले दूकान के अधिष्ठाता भी शामिल है। एसटीऍफ़ ने यह गिरफ़्तारी चित्रकूट जिले से किया है। यह गिरोह टेलीकॉम कंपनियों के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी पीओएस एजेंट बनवाकर, फर्जी आईडी और आधार कार्ड के जरिए सिम कार्ड एक्टिवेट करता था और इन्हें साइबर अपराधियों को बेचता था।

मामले में सामने आया है कि इन लोगों ने 10 हजार से अधिक सिमकार्ड को एक्टिवेट कराया है। दरअसल, यूपी एसटीएफ की टीम को लंबे समय से डिजिटल अरेस्ट, स्टाक मार्केट, पार्सल स्कैम समेत अन्य तरीके से साइबर क्राइम करने वाले संगठित गिरोहों को अनाधिकृत तरीके से सिम कार्ड एक्टीवेट कर उपलब्ध कराने वाले पीओएस एजेन्टों और डिस्ट्रीब्यूटर से जुड़ी लगातार शिकायतें मिल रही थीं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित कर मामले की जांच शुरू की गई थी।

इसी क्रम में मुखबिर से जानकारी मिलने के बाद 15 मई को देर रात करीब 11:15 बजे चित्रकूट जिले के राजापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बरगदी पुरवा से कार्रवाई कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान गैंग लीडर ओम प्रकाश अग्रहरि उर्फ टीटू (अग्रहरि कम्युनिकेशन का प्रोपराइटर), वोडाफोन आइडिया का टेरीटरी सेल्स एक्जीक्यूटिव शिवदयाल निषाद, राहुल पाण्डेय (प्रोपराइटर नित्या इंटरप्राइजेज व डीएसई अग्रहरि कम्युनिकेशन), वोडाफोन आइडिया कौशांबी में कार्यरत जितेन्द्र कुमार, पीओएस एजेंट शिवबाबू और रवि जनसेवा व स्टूडियो का संचालक सुरेन्द्र सिंह के रूप में हुई है।

इनके पास से 31 मोबाइल फोन, 87 फर्जी आधार कार्ड, 514 प्री-एक्टिवेटेड व 561 अनएक्टिवेटेड सिम कार्ड (वोडाफोन, जियो, एयरटेल), 3 बायोमैट्रिक स्कैनर, 1 सीपीयू और 7250 रुपये नकद बरामद हुए है। गिरोह के मुख्य सरगना ओमप्रकाश अग्रहरि ने 2006 में अग्रहरि कम्युनिकेशन नाम से फर्म बनाई थी। वह वोडाफोन और जियो जैसी कंपनियों में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुका था। गिरोह ने फर्जी पीओएस एजेंट तैयार किए और ग्राहकों की दो बार डिजिटल केवाईसी कर दो सिम एक्टिवेट किए जाते थे। एक ग्राहक को दिया जाता और दूसरा गिरोह के पास रह जाता था। बाद में ये एक्टिवेटेड सिम कार्ड ऊंचे दाम पर साइबर अपराधियों को बेचे जाते थे।

फर्जी आधार कार्ड बनाने में सुरेन्द्र सिंह की अहम भूमिका थी। वह रवि स्टूडियो संचालित करता है। गिरोह अब तक करीब 10,000 से अधिक सिम कार्ड फर्जी तरीके से एक्टिवेट कर चुका है। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

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